
बीकानेर,लूणकरणसर,होठां थारै मुळक बिराजै सायबजी, आंख्यां राता डोरा साजै सायबजी। मन मीरां, मन राधा, मन रुकमण राणी, मन किरसण बण बंसी बाजै सायबजी। थारो हेत हियै रै वन में राम बण्यो,
म्हारो मन मिरगै ज्यूं भाजै सायबजी।’ लूणकरणसर उपखंड के कवि राजूराम बिजारणियां ने अपनी ग़ज़ल की इन पंक्तियों से मिठास घोली तो श्रोताओं के मन तक पहुंची। मौका था जवाहर कला केंद्र, जयपुर में राजस्थान सरकार और ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘विजयदान देथा साहित्य उत्सव’ के दौरान आयोजित कवि सम्मेलन का। तीन दिवसीय राजस्थानी भाषा में आयोजित उत्सव के कवि सम्मेलन में कवि बिजारणियां ने ‘काजळ बणनै आँख समाई, बिरखा बण धरती पर आई, जिण रै हँसता काळजियै री, कुमळाई कळियां मुसकाई,अंतस में सीतळता भरती मा रै आंचळ लेटी है, तपती बालू रेत बिचाळै छाँव सरीखी बेटी है।’ गीत सुनाकर सबका दिल जीता। इस दौरान लूणकरणसर के खारी से आने वाले युवा कवि देवीलाल महिया ने ‘मायड़ रो सम्मान गम्यो गणराज में, जीभ थकां अणबोल फिरां म्है राज में’ गीत से राजस्थानी भाषा मान्यता की पीड़ा व्यक्त की। इस सम्मेलन में के कवि प्रहलाद सिंह झोरड़ा, जितेंद्र निर्मोही, मुरलीधर गौड़, सत्यदेव स्वीतेन्द्र, उपेंद्र अणु, गिरधरदान रतनू ने अपने राजस्थानी प्रतिनिधि गीतों और कविताओं से समां बांध दिया। कार्यक्रम का संचालन छैलूदान ‘छैल’ ने बखूबी किया। इस अवसर पर जवाहर कला केंद्र और ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन की ओर से सभी का अंगवस्त्र और मोमेंटो भेंट कर अभिनंदन किया।
तकरीबन तीन घण्टे चले इस कवि सम्मेलन में राजस्थान धरोहर संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत, मुख्य सचेतक, राजस्थान सरकार जोगेश्वर गर्ग, वरिष्ठ लेखाधिकारी जेकेके, बिंदू भोभरिया, ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के प्रमोद शर्मा अपनी गरिमामयी उपस्थिति से सभी का होसला बढ़ाया।