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बीकानेर,बीकानेर में धुलंडी के दिन होने वाली ‘तणी’ की अनूठी परंपरा न केवल ऐतिहासिक है,बल्कि कहीं और इस प्रकार के अनूठे आयोजन की जानकारी शायद ही देखने-सुनने को मिले। हजारों शहरवासियों की मौजूदगी में जब तणी को तलवार से न केवल ऐतिहासिक है,बल्कि कहीं और इस प्रकार के अनूठे आयोजन की जानकारी शायद ही देखने-सुनने को मिले। हजारों शहरवासियों की मौजूदगी में जब तणी को तलवार से काटा जाता है, उस समय का माहौल देखते ही बनता है। तणी के कटते ही आकाश में उड़ने वाली सतरंगी गुलाल की छटा निराली होती है। इस बार 14 मार्च को नत्थूसर गेट के बाहर सर्कल पर तणी काटने की अनूठी परंपरा का निर्वहन किया गया।
तणी आयोजन से जुड़े राधेश्याम व्यास के अनुसार ‘तणी’ मूंझ से तैयार होती है। मूज को बटकर करीब लंबाई में इसे तैयार किया जाता है। कई घंटों की मेहनत के बाद तनी तैयार होती है तैयार तनी को कई घंटे पानी से भिगोकर रखा जाता है ताकि यह और मजबूर और काटने में मुश्किल हो। दो पल पर करीब 15 फीट की ऊंचाई पर बांध दिया जाता है श्रेणी में मारवाड़ कोकण डोरा दूध दही हांडी आदि भी बांधे जाते हैं ।काटता है जोशी जो तनी के दिन कुछ करना ब्राह्मण समाज की विभिन्न जातियों की सामूहिक गैर जब नाथूसर गेट पहुंचती है तो उसके बाद तनी काटने की परंपरा का निर्वाण होता है जोशी जाति का युवक ही काटता है तनी को किराडू जाति के युवक के कंधे पर खड़े होकर जोशी जाति का युवक तलवार से लगी तनी को काटता है ताड़ी बढ़ने की रस्म दूरदर्शनी पुरोहित जाति की ओर से निभाई जाती है हवा में गुलाल लगाती है शरीर पर खुश करना समाज की चोटियां जाति के पहले एक दुखद घटना के बाद होली पर उमंग और उल्लास के साथ मनाया जाता है और लास्ट में शौक भी नहीं लगता चोटिया जोशी जाति के लोग भी को भी साथ ही लेकर होली का पर्व मनाया जाता है ।रियासत काल से होता है आयोजन बीकानेर में धूलंदी के दिन होने वाली तनी की अनूठी परंपरा रियासत काल से चल रही है होली के रसिया जुगल किशोर ओझा के अनुसार दशकों तक तनी का आयोजन होता है 90 के दशक से काटने की परंपरा नथूसर गेट के बाहर तीन दशकों से चल रही यह सामाजिक एकता आपकी प्रेम और भाईचारे के प्रतीक है।

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