
बीकानेर,शुष्क क्षेत्र में बांस की खेती की संभावनाओं के संबंध में स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में सोमवार को एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास विभाग सभागार में आयोजित प्रशिक्षण के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि अर्थव्यवस्था, पर्यावरण संरक्षण और भूमि संरक्षण के साथ-साथ भूजल स्तर बढ़ाने में बांस का पौधा प्रकृति की अनुपम देन है। शुष्क क्षेत्र में बांस की संभावनाओं पर काम करने के लिए केन्द्र सरकार के कृषि एवं कृषि कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय बांस मिशन द्वारा प्रायोजित इस प्रोजेक्ट के तहत यहां के वैज्ञानिकों द्वारा अनुसंधान किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि आजीविका के नए आयाम विकसित करने के साथ-साथ बांस का पौधा पर्यावरण संरक्षण के लिए भी उपयोगी है। विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से किसानों को भूमि की उर्वरा शक्ति बनाए रखने, न्यूनतम लागत में अधिकतम लाभ और कृषि तकनीक हस्तांतरण की दिशा में निरंतर प्रयासरत है। बांस खेती प्रोजेक्ट के तहत किसानों को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 10-10 पौधे दिए जाएंगे, विश्वविद्यालय वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में कृषक इन पौधों की निगरानी करें और मिलने वाले परिणाम के संबंध में विश्वविद्यालय को अवगत करवाएं।
वित्त नियंत्रक पवन कस्वां ने कहा कि खेती के नवाचार बदलते समय की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय इस दिशा में निरंतर प्रयासरत है, पोकरण कृषि विज्ञान केंद्र में टनल तकनीक खजूर की खेती से कम पानी के बावजूद अच्छी उपज प्राप्त करने का एक बेहतरीन उदाहरण है । बांस प्रोजेक्ट के माध्यम से भी यही प्रयास किया जा किया जा रहा है। बांस का पौधा इकोसिस्टम को संतुलित रखने, माइक्रो क्लाइमेट जनरेट करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है उन्होंने कहा कि वर्तमान में पानी और भूमि को बचाना कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के समक्ष एक बड़ी चुनौती है ऐसे में नवाचारों का फायदा किसानों को मिले इस दिशा में विशेष प्रयास हों । निदेशक अनुसंधान डॉ विजय प्रकाश ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के तहत 6 ऐसी किस्मों का चयन किया गया है जो यहां के शुष्क वातावरण में फिजीबिलिटी दिखा रही है। बांस का पौधा फर्नीचर , कागज उद्योग के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन को रोकने में भी अहम भूमिका निभाता है। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता तथा परियोजना प्रभारी डॉ पी के यादव ने बताया कि केंद्र सरकार के राष्ट्रीय बांस मिशन द्वारा विश्वविद्यालय के अधीन 47 लख रुपए की परियोजना स्वीकृत की गई है इस परियोजना के तहत बांस की विभिन्न किस्मों का शुष्क मरुस्थलीय परिस्थितियों में खेती पर अनुसंधान किया जा रहा है इसके तहत एक विशेष एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया जिसमें 10 गांवों से 25 किसानों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। अधिष्ठाता मानव संसाधन विभाग डॉ दीपाली धवन ने उपस्थित किसानों और अतिथियों का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के इंजीनियर जे के गौड़, डॉ नीना सरीन, डॉ निर्मल सिंह दहिया सहित अन्य निदेशक, अधिष्ठाता तथा किसान उपस्थित रहे। प्रशिक्षण में आए किसानों ने वैज्ञानिकों से संवाद कर अपनी जिज्ञासाएं रखी। जितेन्द्र कुमार गौड़ ने बूंद बूंद सिंचाई पर विशेष व्याख्यान दिया।