
बीकानेर,महाकुंभ में हांगकांग,जापान और फिलीपींस से आए विदेशी श्रद्धालुओं ने अपने गुरु नवीन दा हीलर के सानिध्य में ध्यान, भक्ति और आध्यात्म के माध्यम से १४४ साल बाद आए महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाई।
४ दिन के प्रवास के दौरान तन से विदेशी परंतु मन से भारतीय श्रद्धालुओं ने अलग-अलग आश्रम और अखाड़ों में ध्यान करके स्वयं को प्रयागराज एवं महाकुंभ की ऊर्जा के साथ एकात्म करने के पश्चात माघ पूर्णिमा के पवित्र अवसर पर संगम में पवित्र स्नान और ध्यान किया।
नवीन के अनुसार यह महाकुंभ केवल भारतीयों के लिए ही नहीं वरन् संसार के सभी आध्यात्मिक मनुष्यों के लिए भी उतना ही महत्व रखता है।जो भी साधक किसी आध्यात्मिक साधना में लिप्त है उसे यहाँ ज़रूर आना चाहिए, इससे उसकी साधना और अधिक प्रखर तथा फलीभूत होगी।
विदेश से आए श्रद्धालुओं के अनुसार यह महाकुंभ अद्भुत और अविश्वसनीय है, आस्था और आध्यात्म का इतना विशाल आयोजन उन्होंने पूरे संसार में कहीं नहीं देखा।
“हम यहाँ आकर अपने आप को भाग्यशाली अनुभव कर रहे हैं, हम भारत के आभारी हैं जिसने महाकुंभ के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व के लिए आध्यात्म का मार्ग प्रशस्त किया है।” – मेंबो मेन (हांगकांग निवासी)