बीकानेर,एक दिन पहले चंडीगढ़ में हुई भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड की मीटिंग में ऐसा फैसला हुआ जिसने राजस्थान के पूरे पश्चिमी भाग को टेंशन में डाल दिया। राजस्थान का पौंग डैम से पानी का शेयर खत्म होने के कारण एक फरवरी से सिंचाई का पानी बंद हो जाएगा। सिर्फ पीने का पानी मिलेगा। ऐसे में बीकानेर और हनुमानगढ़ जोन के डेढ़ लाख हेक्टेयर में बोई गई गेहूं की फसल पर संकट छा गया।
दरअसल पौंग डैम का गुरुवार को जलस्तर 1309 फीट है। 1295 या 1290 फीट तक ही डैम से पानी ले सकते हैं। डैम का ऊपरी आकार चौडा और नीचे का संकरा है। इसलिए नीचे जो पानी बचा है वो कम है। रोज करीब 40 सेंटीमीटर डैम का जलस्तर कम हो रहा है। ऐसे में बचे हुए सिर्फ 19 फीट पानी से ही जून तक काम चलाना होगा। बुधवार को चंडीगढ़ में भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड की बैठक में तय हुआ कि अगर सिंचाई को पानी दिया तो राजस्थान की दो से ढाई करोड़ आबादी को पीने के पानी का संकट हो जाएगा। मानसून जून के बाद आएगा। तब तक डैम में जमा पानी से ही प्यास बुझेगी।
वो भी गर्मी के पीक महीनों में पीने समेत रोज मर्रा के पानी की मांग भी बढ़ती है। क्योंकि डैम में पानी की आवक 1200 क्यूसेक के करीब है और निकासी 10 हजार क्यूसेक के है इसलिए एक फरवरी से सिंचाई का पानी बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसीलिए बैठक में एक फरवरी से पूरी नहरी क्षेत्र में सिंचाई का पानी बंद करने का निर्णय किया गया। सिर्फ पीने का 3000 क्यूसेक पानी दिया जाएगा। हालांकि राजस्थान ने पीने के लिए भी 4000 क्यूसेक पानी मांगा था।
पानी की चोरी रोकना होगी चुनौती
पीने का पानी नहरों में चलेगा पर किसानों ने फसलों की बिजाई की हुई है। फसलों को बचाए रखने के लिए अवैध साइफन या पंप लगाकर पीने के पानी की चोरी अब बढ़ेगी। संबंधित क्षेत्र की पुलिस, आईजीएनपी और पीएचईडी अधिकारियों को नजर रखनी होगी कि जनता का कंठ गीला करने वाले पानी पर कोई डाका ना डाले। इसके लिए प्रशासन को भी सतर्क रहना होगा क्योंकि पीने के पानी का संकट हुआ तो कानून व्यवस्था संभालना मुश्किल होगा।
चिंता-गेहूं की फसल सूखेगी
पश्चिमी राजस्थान में करीब डेढ लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल बोई गई। जिसमें बीकानेर जोन में करीब 80 हजार और 75 हजार के आसपास हनुमानगढ़ जोन में। जैसलमेर जोन में वैसे ही पानी कम मिलता है तो वहां गेहूं की बिजाई कुआं आधारित ही होती है। नहरी पानी के दम पर कोई बिजाई नहीं करता। गेहूं को कम से 7 बार सिंचाई की जरूरत होती है। फरवरी में तो बालियां आती हैं लेकिन उसके पकाव के लिए मार्च तक दो से तीन सिंचाई की और जरूरत पड़ती है। अगर फरवरी में अचानक तापमान बढ़ा और सिंचाई ना हुई तो पैदावार एक तिहाई भी हो जाए तो भी गनीमत होगी। ऐसे में जिन किसानों ने गेहूं की बिजाई की उन पर वज्रपात हुआ है।
1 फरवरी से सरहिंद,मार्च में आईजीएनपी मरम्मत के लिए होगी बंद
पंजाब की सरहिंद फीडर की रीलाइनिंग का काम 15 किमोमीटर बाकी है। पंजाब के अधीन आने वाली इंदिरा गांधी नहर की भी करीब 21 किमी नहर की मरम्मत बाकी है। इसलिए पंजाब ने एक से 28 फरवरी तक सरहिंद फीडर की क्लोजिंग का निर्णय किया है। तब तक पंजाब पानी आईजीएनपी से होकर जाएगा। उसके बाद जब आईजीएनपी की मरम्मत होगी तब सरहिंद से राजस्थान का पानी आएगा।
हालांकि पंजाब सरहिंद की क्लोजिंग नवंबर में लेना चाहता था लेकिन तब राजस्थान राजी नहीं था। अब राजस्थान ने सरहिंद की अनुमति दे दी है। क्योंकि आईजीएनपी में सिंचाई का पानी बंद हो जाएगा तो पंजाब राजस्थान के 3000 क्यूसेक पीने के अलावा बाकी अपना पानी चलाएगा।