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बीकानेर,कुछ महीने बाद स्कूलों में वार्षिक परीक्षा का आयोजन किया जायेगा और उसके बाद नया सत्र भी शुरू हो जाएगा। इसके बाद निजी स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों को नए सत्र में फिर से एक ही फिक्स की गई दुकान से मज़बूरी में किताबे और स्कूल डेªस खरीदनी पड़ेगी। कुछ जानकारों की मानें तो कुछ निजी स्कूल संचालकों ने अपनी स्टेशनरी और स्कूल ड्रेस की दुकानें फिक्स कर रखीं हैं। फिक्स दुकानों से अभिभावक मंहगी किताबें व स्कूल ड्रेस खरीदकर लूट रहे हैं साथ ही फीस बढ़ाने का नियम तय है उसके अनुसार निजी स्कूल पालना नहीं कर रहे है। इतना ही नहीं शिक्षा विभाग के द्वारा जारी गाइडलाइन की भी कोई पालना नहीं हो रही है ना ही शिक्षा विभाग द्वारा इन स्कूलों पर कोई कार्यवाही हो रही है। इन स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताबें चलाई जा रही हैं जिनसे स्कूलों का कमिशन तय होता है, इस कारण किताबें कई गुना तक मंहगी होती हैं। जिससे अभिभावकों को महंगी किताबों का सेट खरीदना पड़ रहा है। कोई बच्चा पुरानी पुस्तकों का प्रयोग न कर सके इसलिए प्रत्येक वर्ष प्रकाशन या कोर्स बदल दिया जाता है। ऐसे में किताबों के दाम बीते वर्ष के मुकाबले 10 से 15 प्रतिशत बढ़े हैं। कॉपियों के मामले में भी स्कूल ही लाभ की स्थिति में है। स्टेशनरी संचालकों ने स्कूलों के नाम वाली कॉपियां बिक्री के लिए रखी हैं। इनके दाम लागत से अधिक वसूले जा रहे हैं। बीकानेर की बात करें तो यहां भी कई निजी शिक्षण संस्थान की किताबों की अन्य दुकानों में मिलती ही नहीं है। बच्चे की पढाई खराब न हो इसके लिए मजबूरन उसी दुकान से किताबे और कॉपियां खरीदनी पड़ती है। यह केवल बड़ी क्लास में ही नहीं बल्कि नर्सरी, के.जी. से ही शुरू हो जाता है। योगेश कुमार शर्मा ने बताया कि वह इसको लेकर लम्बे समय से लगातार संघर्ष कर रहे है। अप्रेल माह में इस सम्बन्ध में कितनी स्कूलों पर कार्यवाही की गई तो स्पष्ट जवाब नहीं मिला अन्त में 17 जनवरी, 2025 को द्वितीय अपील सुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि ने बेबसी जाहिर करते हुए कहा की इस हेतु उचित सुझाव आप स्वयं शिक्षा विभाग के कार्यालय में देवें। शर्मा ने बताया की सीबीएसई व अन्य प्राइवेट स्कूलों की पुस्तक स्कूल की मर्जी से एक ही दुकान में मिलती है। सरकारी आदेश अनुसार स्कूलों की पुस्तकों की लिस्ट पब्लिकेशन सहित दो माह पूर्व अपने स्कूल की अधिकृत वेबसाइट पर व नोटिस बोर्ड पर चिपकाए। जिससे अभिभावक पुस्तक किसी भी दुकान से ले सकें। सभी बुक्स लिस्ट ओपन होने से सभी पुस्तक विक्रेता पुस्तकों का विक्रय करेंगे। जिससे अभिभावक को पुस्तकों में अधिकतम छूट पर पुस्तकें मिलेगी। पुस्तक विक्रेता का एकाअधिकार समाप्त होगा। शर्मा ने बताया कि इसको लेकर जिला कलेक्टर व जिला शिक्षा अधिकारी को भी कई बार ज्ञापन दे दिया जा चुका है। लेकिन बीकानेर में कोई कार्रवाई नहीं हुई। गत वर्ष मनमाने तरह से फीस बढाने पर जबलपुर (एम.पी.) में 11 निजी स्कूलों से 81 करोड़ रूपये से ज्यादा 21 हजार विद्यार्थियों को फीस राशि वापस करवाई गई एवं 22 लाख रूपये पैनल्टी भी लगाई गई यदि शिक्षा विभाग निजी स्कूलों के संचालकों के खिलाफ ऐसी ही कार्यवाही करता है तो अभिभावकों को थोड़ी राहत मिलेगी। यदि आगामी सत्र में भी यही स्थिति रही तो और शिक्षा विभाग निजी स्कूल संचालकों के मनमाने रवैये पर कुछ कार्यवाही नहीं कर सकी तो यह आम जन का आंदोलन उग्र होगा और धरना प्रदर्शन भी किया जाएगा।

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