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बीकानेर,शीतकालीन सत्र समाप्त होने के बाद संपूर्ण राजस्थान में सर्दी के तेवर के आधार पर छूटी करने का अधिकार जिला कलेक्टर को दिया गया है और बहुत से जिलों में शीतकालीन अवकाश बढ़ा है लेकिन बीकानेर शहर में पिछले चार दिनों से ठिठुरन वाली सर्दी पड़ रही है और छोटे बच्चे बदले समय में विद्यालय जा रहे है लेकिन स्थिति यह है कि 10 से 3 बजे के विद्यालय समय में बच्चों को साढ़े आठ से 9 बजे के बीच घर से निकलना पड़ता है मसलन बच्चा सुबह 7 से साढ़े सात के बीच उठकर नहाता है तैयार होता है और उस वक्त सर्दी अपने चरम पर होती है सूर्य देव पिछले चार दिनों से सुबह 11 से 12 के बीच दर्शन देते है और हल्की धूप कुछ ही देर में साफ हो जाती है यानी सर्द हवा अपने चरम पर होती है और विद्यालयों में ठिठुरते बच्चे ना तो जिला कलेक्टर को इन पर कोई मानवीय पहलू से दया आई ना ही निजी शिक्षण संघ को जो कि बच्चों के स्वास्थ्य के साथ सीधा सीधा खिलवाड़ है

पता नहीं क्यों जिला कलेक्टर महोदया निजी शिक्षण संघ के दबाव में आई और विद्यालयों की छुट्टी ना करके समय बदल दिया और *जिस वक्त ज्ञापन देने वाले और आदेश देने वाले दोनों ही तरह के व्यक्ति अपने घरों में बंद कमरों के हीटर ताप रहे होते है उस वक्त नौनिहाल बच्चे बाहर सड़को पर ठंड से कांप रहे होते है

इस तरह की ठंड में अगर अहमदाबाद जैसा वाकया बीकानेर में हुआ की कोई बच्चा ठंड से ठिठुरते हुए हार्ट फैल होने से जिंदगी से हार गया तो जिम्मेदारी कौन उठाएगा इस संबंध में जब निजी शिक्षण संघ के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से वार्तालाप की तो उनका तर्क बहुत अजीब था कि अगर बच्चे ठंड में बाहर ना निकले तो इम्युनिटी पावर खत्म हो जायेगा ठंड में बाहर आने से इम्युनिटी पावर बढ़ता है

अब समझ नहीं आता कि चिकित्सक सही है या ये महोदय क्योंकि चिकित्सक बच्चों को सर्दी से बचाने की सलाह देते है और ये सर्दी में बाहर निकलने की
लगता है इन बच्चों की रक्षा इस कड़कड़ाती सर्दी में ऊपरवाल ही करेगा

 

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