बीकानेर,नेताओं को अगर जनप्रतिनिधि की कसौटी पर कसे तो क्या पाएंगे कि नेता कितने मौकापरस्त हैं या जन हितैषी ? बीकानेर के सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से बात शुरू करते हैं। साथ में राजस्थान सरकार में मंत्री सुमित गोदारा,विधायक डॉ.विश्वनाथ,सिद्धि कुमारी,जेठानंद व्यास,तारा चंद सारस्वत,अंशुमान सिंह भाटी जो विधायक हैं कि भूमिका पर नजर डाले और विश्लेषण करें तो उनके जनप्रतिनिधि की भूमिका को लेकर जनता क्या पाती है ? भाजपा के वरिष्ठ नेता देवी सिंह भाटी, बिहारी विश्नोई, समेत सक्रिय राजनीति में भाजपा के बहुत सारे नेताओं को जनता अपने नजरिए में कैसा पाती है? मौकापरस्त या जन हितैषी? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी राजनेताओं को परिभाषित करते हुए कहा है कि “राजनेता को समर्पित, प्रतिबद्ध होना चाहिए। राजनेता बनना और सफल राजनेता बनना दो चीजें हैं। बकौल प्रधानमंत्री मेरा मानना है कि आपको समर्पित , प्रतिबद्ध होना चाहिए। अच्छे और बुरे समय में जनता के साथ रहना चाहिए। टीम के खिलाड़ी की तरह काम करना चाहिए। आप खुद को सबसे ऊपर मानते हैं, सोचते हैं कि हर कोई आपका अनुसरण करें तो हो सकता है कि आप चुनाव जीत जाए, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि आप एक सफल राजनेता होंगे।” मोदी की इस परिभाषा में उनकी ही सरकार में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल जनता को कहां खड़े दिखाई देते हैं। बाकी विधायक और नेतागणों की क्या स्थिति है। वे खुद ही आकलन कर लें। अगर कोई दूसरा आकलन करेगा तो हो सकता है मोदी कि उक्त परिभाषा से कई नेता आस पास भी नहीं हो। वे मौकापरस्ती और स्वार्थ की राजनीति में इतने तल्लीन हो कि जन हित का धरातल उनको दिखाई ही नहीं दें। जनता तो सब देखती समझती है नेता खुद मोदी की परिभाषा में खुद का आकलन कर लें। वैसे यह सवाल भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के नेताओं के लिए है बीकानेर में जनहित के कितने मुद्दे लंबित पड़े है ? कितने वर्षों से जन समस्याओं से बीकानेर की जनता तकलीफ उठा रही है। जनहित में कौन से नेता ने कितना सार्थक प्रयास किया है। विकास की बात तो छोड़े दें, केवल लंबित जन समस्या की बात करें तो तस्वीर साफ हो जाती है। हमारे नेता जनता के कितने साथ है? उनमें कितनी टीम भावना है। पार्टी के भीतर भी टीम भावना है या गुट बाजी से जूझ रहे है। क्या नेता केवल खुद की परिक्रमा करने वालों को ही मानते हैं या आम आदमी का भी सम्मान करते है? बीकानेर के रेलवे फाटक,अधूरी रिंग रोड, ड्राइपोर्ट, खाद्य प्रसंस्कर उद्योग, गैस पाइप लाइन, सिरेमिक्स उद्योग, शिक्षा हब जैसे कई मुद्दे दशकों से लंबित है। ऐसे में क्या नेता जनहितैषी कहे जा सकेंगे?
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