बीकानेर,प्रदेश के सरकारी स्कूलों में आठवीं तक पढऩे वाले 57 लाख विद्यार्थी स्कूल यूनिफॉर्म के लिए अभी तक सरकार का मुंह ताक रहे हैं। शिक्षा सत्र पूरा होने में अब तीन माह से भी कम समय बचा है तब सरकार जागी है। अधिकारियों से इस संबंध में सवाल पूछे तो देर रात विभाग का ऑर्डर सामने आ गया। अब स्कूल यूनिफॉर्म की जगह विद्यार्थियों के बैंक खातों में 800 रुपए देने की बात कही गई है। इससे पहले सरकार ने विद्यार्थियों को कपड़ा और सिलाई के पैसे देने की जगह सिली-सिलाई तैयार पोशाक देने की घोषणा की थी।शिक्षा निदेशक सीताराम जाट की ओर से मंगलवार को जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी आदेश में कहा गया कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के छात्र-छात्राएं विद्यालय में हीन भावना से ग्रस्त नहीं हों।
उन्हें भी शिक्षा के लिए आवश्यक स्कूल बैग, किताबें तथा यूनिफॉर्म मिले। इस दृष्टि से कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थियों और कक्षा 9वीं से 12वीं तक की छात्राओं को सहायता राशि प्रदान की जाएगी। वहीं शिक्षा निदेशालय के सूत्रों के मुताबिक, करीब तीन-चार महीने पहले स्कूल शिक्षा परिषद ने यूनिफार्म खरीद के लिए निविदाएं आमंत्रित कीं। इसमें कपड़े की मैन्युफैक्चरिंग के साथ सिलाई का अनुभव रखने वाली फर्म के ही भाग लेने की प्रावधान रखा गया। इसमें समस्या यह आई कि कपड़ा निर्माता कम्पनियां केवल कपड़ा तैयार करने का कार्य करती हैं। सिलाई कार्य रेडीमेड गारमेंट्स की कम्पनियां करती हैं। ऐसे में दोनों काम करने वाली कोई फर्म आई नहीं और इस शर्त के चलते निविदा सिरे नहीं चढ़ पाई।
पिछले शिक्षा सत्र में भी पहली से आठवीं तक के सभी विद्यार्थियों को नि:शुल्क यूनिफॉर्म वितरित करने की योजना का यही हाल रहा था। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसके लिए बजट समय पर नहीं दिया। बाद में चुनावों से पहले केवल यूनिफॉर्म का कपड़ा ही दिया। सिलाई के 200 रुपए के बजट के लिए फिर इंतजार करना पड़ा। ऐसे में विद्यार्थी अपनी जेब से पैसे देकर सिलाई करवा कर यूनिफॉर्म नवंबर-दिसम्बर में पहन पाए थे।
अब खातों में जमा होंगे पैसे
शिक्षा परिषद ने यूनिफार्म की डिमांड ले रखी है। यूनिफॉर्म की आपूर्ति मिली नहीं। इसलिए वितरित नहीं हो पाई। निदेशालय से यूनिफॉर्म और बैग के लिए 800-800 रुपए डीबीटी करने के आदेश मिले हैं। गजानंद सेवग, डीईओ, माध्यमिक मुख्यालय बीकानेर