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बीकानेर,भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति और ज्ञान कैसे पीढ़ी दर पीढ़ी आगे से आगे संप्रेषित होता है इसे समझने के लिए पूरे देश में गोपेश्वर महादेव मंदिर गंगाशहर में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से सात दिवसीय श्रीराम कथा के आयोजन में से तीन दिनों की कथा का विश्लेषण करना चाहिए। वास्तव में तो हमारे देश में कथाएं, सत्संग और प्रवचन भारतीय समाज रचना, आध्यात्म के समग्र जीवन संस्कृति का विद्यालय है। गूढ़ ब्रह्म ज्ञान किस तरह से राम कथा, भजन, सत्संग से राम की परम शक्ति का अनुभव हर श्रोत अपने हृदय में करता है। आप कथा में जाईए और अनुभव कीजिए की सुनने के बाद कितना क्या अर्जित किया है। शायद वि. वि ., कॉलेज या स्कूल के ज्ञान कक्षा से कहीं ज्यादा, अदभुत और जीवन में दिशा बोध देने वाला ज्ञान। राम कृष्ण की भारतीय जीवन संस्कृति इन कथाओं से ही तो पल्लवित होती रही है। कथा में साध्वी बहनों के प्रवचन और चौपाइयों और भजनों का गायन श्रोताओं को भीतर तक स्पंदित करता है। साध्वी सुश्री त्रिपदा भारती ने राम कथा के माध्यम से भक्तों को जीवन के विभिन्न पहलुओं को उकेरा। साध्वी का कहना है कि कोई भी जीवन का मार्गदर्शन कथा से प्रशस्त कर सकते है। भारत में वैदिक काल से यह परंपरा चल रही है। वास्तव में प्रभु की कथा हमारे लिए स्वयं का विश्लेषण है। स्वयं से परिचय पाने का मार्ग है। यह आज के समाज का सत्य है, कि हम पूरी दुनिया की खबर तो रखते है। लेकिन खुद से बेखबर है। अंतरिक्ष में ऊँची उड़ने भर चुके है, सागर को माप चुके है, पर्वतों पर अपनी जीत के परचम लहरा चुके है। किन्तु इन सब के बावजूद स्वयं से बहुत दूर व अपरिचित हो गए है। हम अपने लक्ष्य को विस्मृत कर बैठे है। इसलिए प्रभु की कथा हमें जागृत कर हमारे लक्ष्य की ओर अग्रसर करने का कार्य करती है। वास्तव में हमारे मानव तन का लक्ष्य उस ईश्वर को पाना है। जो एक पूर्ण गुरु से आत्मज्ञान प्राप्त करके ही संभव हो सकता है।

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