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बीकानेर,मौसमी बीमारिया कहर बरपा रही है। सरकारी और निजी अस्पतालों में पैर रखने की भी जगह नहीं है। डेंगू, डायरिया, वायरल बुखार, पीलिया,सर्दी जुकाम के बीमारों की लाइनें लगी है। स्वास्थ्य सेवाएं असामान्य स्थिति में आ गई है। ऐसी हालातों के लिए हमारे पास चिकित्सा संसाधन नहीं है। बेशक चिकित्सा व्यवस्था और संसाधन अपर्याप्त हो गए हैं। स्वास्थ्य सेवाएं आपदा की हालत में है। अस्पतालों में डॉक्टर्स जितना कर सकते हैं कर ही रहे है। बेशक सरकार चिंतित है। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने हालातों से निपटने के लिए अभियान चलाने के दिशा निर्देश दिए हैं। इन सब विपरीत हालातों में बीकानेर का कुशल प्रशासन कहाँ है ? इन हालातों से निपटने के लिए प्रशासन की भी जिम्मेदारी है। डॉक्टर, नर्सिग स्टाफ, दवाओं की कमी पड़ रही है। एक मरीज को इलाज के लिए भी घण्टों इंतजार करना पड़ता है। इस दौरान की तकलीफ बीमारी से कम नहीं है। कुशल प्रशासक अच्छे प्रबंधन से चिकित्सा व्यवस्था की खामियों को दुरुस्त कर सकता है। सेवा निवृत्त चिकित्सको औऱ पेरामिकल स्टाफ का सेवा के रूप में सहयोग का आव्हान किया जा सकत है। भीड़ को व्यवस्थित कर परेशानी कम की जा सकती है। स्वयं सेवी संगठनों को सेवा में सलग्न कर कई व्यवस्थाएं माकूल बना सकती है। प्रशासन अपनी भूमिका से मौसमी बीमारियों के प्रकोप से बने हालातों में अपनी दक्षतापूर्ण क्षमताओं को दिखाए तो सही जनता आकलन कर रही है। अभी तो कुशल प्रशासक कहीं नहीं दिखाई दे रहा है।

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