बीकानेर,भारत सरकार के उपक्रम जी.जे.ई.पी.सी.से सम्बद्ध इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जेम्स एंड ज्वैलरी, जयपुर की ओर से मंगलवार को स्वर्णकला क्षेत्र में युवा पीढ़ी को आधुनिक कौशल व शिक्षा सुलभ करवाने के लिए होटल राजमहल में कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में बीकानेर के स्वर्णकार समाज के छात्र, व्यवसाई, कुशल व अर्ध कुशल कारीगरों ने हिस्सा लिया।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जेम्स एंड ज्वैलरी, जयपुर के कुल सचिव दिव्यांश अग्रवाल ने बताया कि संस्था जेम्स और ज्वैलरी क्षेत्र के लिए अत्याधुनिक शिक्षा प्रदान करता है। आधुनिक तकनीक और अनुभवी फैकल्टी से सुसज्जित यह संस्थान, तकनीकी कौशल और राजस्थान की समृद्ध हस्तकला का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। संस्थान के पाठ्यक्रम छात्रों के कौशल को विकसित करते हुए वैश्विक बाजार में उत्कृष्टता प्रदान करने के लिए तैयार करता है। एक विरासत जो रत्न आभूषणों को तराशने की कला को आकार देती है। संस्थान की विभाग प्रमुख श्रीमती मधु शर्मा ने बताया कि संस्था 25 वर्षों से अधिक की उत्कृष्टता के साथ ज्वैलरी शिखा के क्षेत्र में नया मानक स्थापित किया है। संस्थान में सैद्धांतिक ज्ञान और व्यावहारिक कौशल का समेकित अनुभव प्रदान करता है।
संस्थान की समन्वयक अंकिता जैन ने बताया कि संस्थान जैम्स एंड ज्वैलरी क्षेत्र के लिए अत्याधुनिक शिक्षा प्रदान करता है। उन्होंने संस्थान के पाठ्यक्रमों तीन माह से एक, दो, तीन, चार वर्ष तक के डिप्लोमा, पी.जी.डिप्लोमा ज्वैलरी डिजाइन और सी.ए.डी.एक वर्ष, एनालिटिकल ड्रॉईंग, ज्वेलरी ड्राइंग एवं रेंडरिंग, 2 डी एंड 3 डी कम्प्यूटर एडेड ज्वेलरी डिजाइन , ज्वेलरी बिजनेस मैनेजमेंट, डिजाइन प्रोजेक्ट, मॉडल (मैट्रिक्स गोल्ड), विजुअल सर्वाइजिंग, जेम स्टोन कटिंग और पॉलिशिंग, फिलिंग और पॉलिशिंग, डेकोरेटिव टेक्नीक्स, स्टोन व वैक्स सेटिंग आदि के बारे में प्रोजेक्टर के माध्यम से जानकारी दी।
मुख्य वक्ता बीकानेर के महेश सोनी कूकरा ने बताया कि संस्थान से प्रशिक्षित बारहवीं पास विद्यार्थी अपने कौशल का विकास कर आर्थिक उन्नति कर सकता है। उन्होंने बताया कि संस्थान में छात्र-छात्राओं के अलग से प्रवास, भोजन आदि की व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि कितनी भी मशीनरी आ जाए लेकिन बीकानेरी कुंदन मीना ज्वैलरी का स्थान नहीं ले सकती । बीकानेर की पहचान कुंदर मीना ज्वैलरी को विकसित करने के लिए इस तरह की संस्थान में युवा पीढ़ी का प्रशिक्षण वर्तमान समय की मांग है। संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त कर वैश्वविक मांग के अनुसार कम समय में हम ज्वैलरी तैयार कर सकेंगे।
संस्थान में प्रशिक्षण ले चुके नारायण कूकरा, मोहित जोड़ा ने अपने संस्थान के शिक्षण प्रशिक्षण के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि उन्होंने बहूत कुछ सीखता है जिनसे वे स्वर्णकारी कार्य को जानते हुए भी अनभिज्ञ थे। बीकानेर के लोकेस सोनी, ब्राह्मण स्वर्णकार हरी प्रकाश सोनी, मूल चंद सोनी किशन लाल सोनी, सुन्दरलाल सोनी व द्धारका प्रसाद सोनी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। वरिष्ठ पत्रकार शिव कुमार सहदेव सोनी ने कार्यशाला को उपयोगी बताते हुए इसे स्वर्णकारों की गुवाड़ व सार्वजनिक स्थान पर करने, इसका व्यापक प्रचार करने का सुझाव दिया।