बीकानेर,करोड़ों लोगों की अस्मिता एवं जन-भावना के साथ सांस्कृतिक पहचान हमारी मातृभाषा राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता एवं दूसरी राजभाषा का वाज़ब हक शीघ्र मिले। इसी केन्द्रीय भाव के साथ प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा गत साढ़े चार दशकों से चली आ रही परंपरा के चलते महान् इटालियन विद्वान राजस्थानी पुरोधा डॉ. लुईजि पिओ टैस्सीटोरी की 137वीं जयंती के अवसर पर आयोजित होने वाले तीन दिवसीय ‘सिरजण उछब’ के दूसरे दिन आज प्रातः नत्थूसर गेट बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन-सदन से अनेकों राजस्थानी महिलाओं, पुरूष एवं युवाओं ने मान्यता हेतु प्रभात फेरी निकाली।
इस अवसर पर राजस्थानी के समर्थक एवं वरिष्ठ शिक्षाविद् राजेश रंगा ने कहा कि हमें हमारी मां, मातृभूमि एवं मातृभाषा के मान-सम्मान के प्रति सदैव सजग रहना चाहिए। हमारी मातृभाषा जिसका हजारों वर्षों पुराना साहित्यिक-सांस्कृतिक वैभवपूर्ण इतिहास है। साथ ही हमारी मातृभाषा राजस्थानी भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से सभी मानदण्डों पर खरी उतरती है, ऐसे में हमारी मातृभाषा को शीघ्र मान्यता केन्द्र व राज्य सरकार को देनी चाहिए। रंगा के इस कथन का उपस्थित सभी महिलाओं पुरूषों एवं युवा राजस्थानी समर्थकों ने समर्थन किया।
‘सिरजण उछब’ के सहसंयोजक हरिनारायण आचार्य ने कहा कि राजस्थानी भाषा भारतीय भाषाओं में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है। ऐसी भाषा की अनदेखी करना दुःखद पहलू है। अब सरकारों को भाषा के प्रति अपना संवेदनशील एवं सकारात्मक व्यवहार रखते हुए भाषा की मान्यता पर शीघ्र निर्णय लेना चाहिए।
अपने विचार व्यक्त करते हुए राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार एवं राजस्थानी मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा ने कहा कि राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलना एवं दूसरी राजभाषा बनना ही डॉ. टैस्सीटोरी को सच्ची श्रृद्धांजलि है। रंगा ने आगे कहा कि करीब आधी सदी से प्रज्ञालय एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ डॉ. टैस्सीटोरी के राजस्थानी के समग्र क्षेत्रों में किए गए महत्वपूर्ण कार्यो को जन-जन तक ले जाने का सकारात्मक प्रयास कर रहा है।
प्रभात फेरी का संचालन करते हुए युवा संस्कृतिकर्मी आशीष रंगा ने बताया कि आज प्रातः महिलाओं पुरूषों और युवाओं के साथ-साथ सैकड़ों बालक-बालिकाओं को राजस्थानी मान्यता एवं मातृभाषा को जीवन-व्यवहार में अधिक से अधिक प्रयोग करने के साथ मातृभाषा राजस्थानी के प्रति अपने आत्मिक एवं भावनात्मक भाव के साथ मान्यता संकल्प दिलवाया गया।
प्रभात फेरी प्रभारी भवानी सिंह ने बताया कि इस अवसर पर संकल्प के प्रति अपना समर्थन जताने के साथ कई बालक-बालिकाओं ने मातृभाषा राजस्थानी से संबंधित छोटी-छोटी राजस्थानी भाषा की बाल कविताओं का वाचन भी किया।
राजस्थानी मान्यता संकल्प के इस आत्मिक एवं भावनात्मक आयोजन में हरिनारायण आचार्य, मुकेश तंवर, उमेश सिंह, रमेश हर्ष, अविनाश व्यास, राजेश ओझा, किशोर जोशी, अशोक शर्मा, मुकेश स्वामी, श्रीकृष्ण, प्रताप सोढा, तोलाराम, सीमा पालीवाल, सीमा शर्मा, कुसुमलता जोशी, कुसुम किराडू, दीपिका राजपूत, अंजूराव, ममता व्यास, पुनम स्वामी, अलका रंगा, बबीता, नवनीत व्यास सहित अनेक राजस्थानी भाषा मान्यता के समर्थकों ने कहा कि अब समय आ गया है कि राजस्थानी भाषा को उसका वाज़ब हक शीघ्र मिले। सभी का आभार कार्यक्रम संयोजक युवा कवि गिरिराज पारीक ने ज्ञापित किया।