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बीकानेर,भारत तिब्बत सहयोग मंच के महिला विभाग ने तिब्बती भाई बहनों के साथ किया कार्यक्रम। जेटसन न्गवांग लोबसांग येशे तेनजिन ग्यात्सो जिनका वर्तमान नाम ल्हामो थोंडूप है और जो वर्तमान में तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक धर्मगुरु पतित पावन दलाई लामा है को वर्ष 1989 में 10 दिसंबर के दिन ही नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। तिब्बती बौद्ध धर्मानुयायी पतित पावन दलाई लामा को एक जीवित बोधित्सव मानते हैं 10 दिसंबर को पतित पावन दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के 35 वर्ष पूरे हो गए हैं इसी उपलक्ष्य में स्थानीय तिब्बती भगिनी -भ्राताओं के साथ भारत तिब्बत सहयोग मंच के महिला विभाग की अध्यक्ष राजश्री कच्छवाहा और तिब्बती बहन त्सेतन डोलमा के संयुक्त नेतृत्व में दलाई लामा के तेल चित्र के सम्मुख पूजा अर्चना का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया और तिब्बत की आजादी का संकल्प लिया गया। इस अवसर पर मंच की राष्ट्रीय पदाधिकारी प्रकृति संरक्षण प्रकोष्ठ, राष्ट्रीय सहसंयोजक सुधा आचार्य ने कहा कि “चीन की सीमा चीन की दीवार, बाकी सब कब्जा है” इसीलिए चीन की साम्राज्यवादी नीति पर अंकुश लगाना अत्यावश्यक है। चीन सदा ही विश्व विरोधी नीतियां अपनाता रहा है जबकि तिब्बती समाज सदैव शांतिप्रिय समाज रहा है और जो सभी को साथ लेकर चलता है दलाई लामा को 1989 में मिला नोबेल शांति पुरस्कार इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है इसीलिए आज इस अवसर पर ईश्वर से पुनः प्रार्थना करते हैं कि तिब्बत शीघ्रातिशीघ्र चीन के आधिपत्य से मुक्त हो क्योंकि “तिब्बत की आजादी, भारत की सुरक्षा” है। कार्यक्रम के प्रारंभ में तिब्बती समाज की स्थानीय अध्यक्ष त्सेतन डोलमा ने भारत तिब्बत सहयोग मंच की महिला विभाग की सभी बहनों का उपरणा पहना करके स्वागत किया कार्यक्रम में महिला विभाग की पुष्पा राजपुरोहित, दमयंती सुथार,रेखा दैया,सरिता आंचलिया, दुर्गा देवी सहित अनेक तिब्बती भगिनी बंधु और गणमान्य जन उपस्थित रहे।इस अवसर पर पधारे हुए सभी आगंतुकों को प्रसाद का वितरण भी किया गया।

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