बीकानेर,जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वर महाराज आदि ठाणा का कृतज्ञता समारोह का प्रथम चरण रविवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में लघुनाटक, विदाई व भक्ति गीत तथा चातुर्मास के दौरान हुए विभिन्न कार्यक्रमों की विशिष्टता के बखान के बाद संपन्न हुआ। कृतज्ञता समारोह का दूसरा चरण सोमवार को भी सुबह सवा नौ बजे रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में होगा।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट एवं श्री जिनेश्वर युवक परिषद के संयुक्त तत्वावधान में हुए कृतज्ञता समारोह में जैनाचार्य के साथ बीकानेर के प्रखर वक्ता मुनि सम्यक रतन सागर व मुनिवृंद, श्री विचक्षणश्रीजी की शिष्या वयोवृद्ध साध्वी विजय प्रभा श्रीजी, साध्वीश्री चन्द्रप्रभा की शिष्या बीकानेर की साध्वी प्रभंजनाश्रीजी, सुव्रताश्रीजी (दोनों संसारिक बहनों) साध्वी, चिद्यशाश्रीजी, आदि ठाणा पांच सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ व पवन बोथरा ने चातुर्मास के दौरान विभिन्न कार्यों में अनुकरणीय भूमिका निभाने वालों व धर्म ज्ञान हासिल करने वाले महूल खजांची आदि बच्चों सहित करीब 25 श्रावक-श्राविकाओं का अभिनंदन किया। श्री जिनेश्वर युवक परिषद के मंत्री मनीष नाहटा ने चातुर्मास के दौरान हुए आय-व्यय का ब्यौरा प्रस्तुत किया।
जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने प्रवचन में भजनों का मुखडा, कविताओं के अंश सुनाते हुए कहा कि ’’जिनवाणी धारा, जो पाई्र तुमने जीवन में करना अमल, सम्यक राहो में, बढ़ते चले जाना, पाना सुपथ निर्मल, कर्म से हो जीत, प्रीति धर्म से लगाना है। जीवन को सफल बनाना है’’। उन्होंने कहा कि सुख दुख ये जीवन के दो पहलु है, कभी सुख है तो कभी दुख। दुख आने पर कभी भी घबराना मत, बल्कि प्रसन्नता से स्वीकार करना। दुख ही है जो हमें सीख देता, सावधान करता है, सद्गति और सिद्धिगति देता है।
जैनाचार्य महाराज ने कहा कि हम अपने आपको सौभाग्यशाली मानते कि देव, गुरु व धर्म की पुण्यतम भूमि, हमारे पूर्वजों की भूमि में वर्षावास करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। बीकानेर की धर्मधरा प्राचीन जिनालयों से सुशोभित है। दीक्षा प्रदाता गुरुदेव की दीक्षा भूमि, महोपाध्याय क्षमा कल्याणजी, देवचंदजी महाराज की जन्म भूमि, ज्ञान भंडारों की इस भूमि का चातुर्मास हमेशा याद रहेगा। उन्होंने चातुर्मास में परोक्ष-अपरोक्ष में सहयोग करने वालों, सकल श्री जैन संघ, श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट व श्री जिनेश्वर युवक परिषद के पदाधिकारियों सदस्यों व श्रावक-श्राविकाओं से साधना, आराधना, मौन व भक्ति में हुए कष्ट के प्रति क्षमा याचना की। ’’जा रहे है हम, दिल में बसा कर के,आलौकिक बीकानेर की यादें। आनंद रत्नाकर, चरण में अमृत पुष्प चढ़ाना है, जीवन को सफल बनाना है।
समारोह में छोटे बच्चों ने नाटक, कविता व गीतों के माध्यम से तथा कुशल दुगड़, वीरेन्द्र उर्फ पप्पूजी बांठिया, सम्यक मुसरफ, भीनव नाहटा घनिष्ठ नाहटा, पूनम , गौरव सावनसुखा, विचक्षण महिला मंडल, कुशल सामयिक मंडल,ज्ञानवाटिका, जिनेश्वर महिला परिषद, के बच्चों, राजश्री छाजेड़, विनता सिरोहिया, पूर्णानाहटा, हार्दिक कोचर, लक्षित खजांची, जिनीशा खजांची, जिनीशा नाहटा, डिम्बी कोचर, हीर कोचर, सुन्दरी सेठिया, खुशाली पारख, हर्षिता, प्रीति खजांची, चुन्नु व हार्दिक कोचर, पूर्वी बरड़िया,विमल कोचर, जुगराजा नाहटा, विहान बोथरा, अनिता कोचर, देवांश जैन, रौनक कोचर, मेहूल खजांची सहित करीब तीन दर्जन श्रावक-श्राविकाओं ने भाव व्यक्त किए।
कृतज्ञता समारोह में श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ, श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास, श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट, श्री जिनेश्वर युवक परिषद, विचक्षण महिला मंडल, सामयिक मंडल, श्री जिनेश्वर महिला मंडल के पदाधिकारियों व सदस्य व ज्ञान वाटिका बच्चे व उनके अभिभावक मौजूद थे।