बीकानेर,बीकनेर के छोटे से गांव ढींगसरी की बेटी मंजू कंवर अब जर्मनी में फुटबॉल की लेगी ट्रेनिंग। ग्रामीण परिवेश की साधारण परिवार की बेटी मंजू तीन साल पहले तक अपने पापा के साथ बकरियां चराती थी। लेकिन कोच विक्रम सिंह ने मंजू के घर वालों से बात करके और फुटबॉल ग्राउंड लेकर आए और आज वह छोटी सी उम्र में फुटबॉलर बन गई। मंजू का सपना है कि एक दिन वह फुटबॉल में भारत के लिए मेडल लेकर आए
बीकानेर के ढिंगसरी गांव से निकली हुई मंजू अब जर्मनी में ट्रेनिंग लेने जाएगी खिलाड़ी मंजू ने बताया की तीन साल पहले कोच विक्रमसिंह उनके घर आए और घर वालो को समझाकर उसे फुटबॉल सीखना शुरू किया। उनके नेतृत्व में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। हमने नेशनल चैंपियनशिप जीती। जिसके बाद जर्मनी की जूलिया मेडम जयपुर आई उनकी दो दिन तक ट्रेनिंग हुई जिसमे मेरा सलेक्शन हो गया। अब में जर्मनी में जाकर ट्रेनिंग लुंगी। मंजू का सपना है की वो एक दिन अपने देश के लिए मैडल जीते।
ढींगसरी गांव के रहने वाले विक्रम सिंह भी फुटबॉल के बेहतरीन खिलड़ी रहे है। उन्हेने तीन साल पहले बीड़ा उढ़ाया कि वे गांव की लड़कियों को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने मगनसिंह राजवी फुटबॉल एकेडमी का गठन किया। एक-एक घर में बात की,छोटी-छोटी लड़कियों को घर से बाहर निकाला और कड़ी मेहनत करते हुए गांव की 12 से 16 साल की 14 बेटियां को फुटबॉलर बनाया है। इनमें से 12 बेटियां अगस्त में नेशनल चैंपियनशिप जीतने वाली टीम की सदस्य भी रहीं। इनमे से एक खिलाडी मंजू कंवर का जर्मनी के क्लब में ट्रेनिंग के लिए चयन हुआ है। इस चयन में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का बड़ा योगदान रहा है।असल में राइजिंग राजस्थान के सिलसिले में जर्मनी गए मुख्यमंत्री ने इस क्लब को जयपुर आने का न्यौता दिया था जिसके बाद क्लब ने यहां ट्रायल लिया था जिसमे मंजू का चयन हुआ है। विक्रम सिंह ने अभी तक गांव में 70 नेशनल खिलाडी तैयार किए है। एकेडमी में सभी खिलाड़ियों को निशुल्क ट्रेनिंग दी जाती है। इस एकेडमी को सरकार से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। विक्रम सिंह ने बताया कि वह रेलवे में काम करते हैं और जो रेलवे उनको सैलरी देता है वह सारी सैलरी इन बच्चियों के ऊपर वह लगा देते हैं उन्होंने कहा एक दिन इस छोटे से गांव ढिंगसरी की बच्चियों भारत के लिए फुटबॉल खेलेगी यह मेरा सपना है।
खेल सचिव नीरज के पवन का कहना है कि ढिंगसरी की बच्चियों का मैंने सम्मान भी किया था और एक इंटरनेशनल कोच से इन बच्चियों की तीन दिन तक कोचिंग भी कराई और एक मैच भी हुआ जिसमें वो बचिया जीती भी सही उन मेसे मंजू नाम की एक बेटी अपने बीकानेर की बेटी है उसकी विदेश में लेकर गई है वो जर्मनी में ट्रेनिंग दी जा रही है अपने लिए बहुत अच्छी बात हो जाएगी के गांव के धोरों में खेल करके आगे भड़ी बेटी मंजू विदेश में खेलेगी