बीकानेर,सादुल स्पोर्ट्स स्कूल में व्याप्त अनियमितताओं और प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ क्रीड़ा भारती के भूख हड़ताल को आज आठ दिन हो चुके हैं। आठ दिनों से जारी इस संघर्ष में जहां खिलाड़ियों और उनके परिवारों की उम्मीदें लगातार टूट रही हैं, वहीं सरकार और प्रशासन की बेरुखी ने आंदोलनकारीयों के गुस्से और हताशा को और बढ़ा दिया है।
सुबह सादुल स्पोर्ट्स स्कूल के छात्रों ने अपने आक्रोश को और मुखर रूप देते हुए एक पैदल मार्च निकाला। यह मार्च स्कूल परिसर से शुरू होकर बीकानेर कलेक्टरी तक गया। वहां छात्रों ने प्रशासन को सादुल स्पोर्ट्स स्कूल की दुर्दशा और अनियमितताओं को लेकर शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दौरान बच्चों की आवाज में नाराजगी और दर्द साफ झलक रहा था।
पुराने ज्ञापन अनसुने, अब उम्मीद करे भी तो किसी से
छात्रों ने मीडिया को बताया कि इससे पहले भी वे कई बार अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर प्रशासन को ज्ञापन सौंप चुके हैं। लेकिन हर बार उनकी बातों को अनसुना कर दिया गया। “हमने कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन हर बार हमें निराशा ही हाथ लगी। इस बार हमने मुख्यमंत्री से न्याय की अपील की है। हमें उम्मीद है कि वे हमारी समस्याओं को समझेंगे,” एक छात्र ने आंखों में आंसू लिए कहा।
म्यूजियम सर्किल पर हस्ताक्षर अभियान को मिला भारी समर्थन
शाम को भूख हड़ताल पर बैठे खिलाड़ियों ने बीकानेर के म्यूजियम सर्किल पर हस्ताक्षर अभियान शुरू किया। इस अभियान के जरिए उन्होंने जनता से अपनी लड़ाई में समर्थन मांगा। खिलाड़ियों ने अपनी मांगों और प्रशासन की उदासीनता की पूरी कहानी जनता के सामने रखी। स्थानीय नागरिकों और खेल प्रेमियों ने इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
हस्ताक्षर अभियान को शुरू हुए कुछ ही घंटे हुए थे कि शाम तक इसमें हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया। स्थानीय जनता के साथ-साथ अन्य खेल संघों और संस्थाओं ने भी इस अभियान में अपना समर्थन दिया। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “सादुल स्पोर्ट्स स्कूल जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की दुर्दशा और खिलाड़ियों के साथ हो रहे अन्याय को हम चुपचाप नहीं देख सकते। यह लड़ाई सिर्फ इन बच्चों की नहीं, पूरे समाज की है।”
अनियमितताओं की लंबी फेहरिस्त, सरकार की चुप्पी सवालों के घेरे में
सादुल स्पोर्ट्स स्कूल के छात्रों और प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों की सूची भी सार्वजनिक की, जिसमें शामिल हैं:
• खेल सुविधाओं का अभाव
• प्रशिक्षकों की कमी
• छात्रों को मिलने वाली डाइट में कटौती
• छात्रावास में खराब स्थिति
• स्कूल प्रबंधन में गड़बड़ियां
भूख हड़ताल पर बैठे एक खिलाड़ी ने कहा, “हमारा संघर्ष सिर्फ हमारे लिए नहीं है। यह उन सभी बच्चों के भविष्य के लिए है, जो खेल में करियर बनाने का सपना लेकर इस स्कूल में आते हैं। लेकिन सरकार और प्रशासन को हमारी परवाह नहीं है। हमारी भूख हड़ताल को आज आठ दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक कोई भी बड़ा अधिकारी हमारी बात सुनने तक नहीं आया। क्या हमें अपने अधिकारों के लिए अपनी जान भी देनी पड़ेगी?”
अब क्या आगे होगा?
भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन अब तेजी से एक बड़े जनांदोलन का रूप ले रहे हैं। दानवीर सिंह भाटी का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, वे पीछे नहीं हटेंगे। सोमवार से और भी लोग इस आंदोलन में शामिल होने की योजना बना रहे हैं।
जनता का समर्थन और बच्चों की अडिग इच्छाशक्ति यह संकेत देती है कि यह आंदोलन अब सिर्फ सादुल स्पोर्ट्स स्कूल का मामला नहीं रह गया है। यह खेल और शिक्षा व्यवस्था में सुधार की एक बड़ी मांग बन चुका है। सरकार और प्रशासन की चुप्पी ने सवाल खड़े कर दिए हैं, और आने वाले दिनों में यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।