बीकानेर,भारत पाक युद्ध 1971 के अग्रिम दस्ते में पूर्वी पाकिस्तान की सीमा पर तैनात ग्रेनेडियर रफीक खान दुश्मनों के बारूदी ठिकानों को ध्वस्त करते हुए वीर ने देश के लिए (14 नवम्बर 1971) अपने प्राणों को न्योछावर कर शहीद हो गए थे। भारत सरकार के तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति महोदय ने शहीद रफ़ीक खान को मरणोपरांत वीर चक्र का सम्मान प्रदान किया था ।
शहीदों की चिताओ पर लगेंगे हर वर्ष मेले ,
वतन पर मर मिटने वालों का यही बाकी निशा होगा ”
आज 14 नवम्बर 2024 को वीर चक्र शहीद रफ़ीक खान की 53 वीं पुण्यतिथि पर जाँबाज शहीद की शहादत को श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं । वीर चक्र शहीद रफ़ीक खान हमारे समाज , बीकानेर व भारत देश का गौरव है ।
53 वीं वर्षी पर फिर से भारत सरकार ,राज्य सरकार व जिला प्रशासन से निवेदन है कि अन्य शहीदों के नाम से सार्वजनिक स्थानों का नामकरण किया गया है किया जा रहा है ठीक इसी तरह ” वीर चक्र ग्रेनेडियर शहीद रफीक खान” के नाम से भी चौराहा , बाग बगीचा , कॉलोनी , सामुदायिक भवन का नाम भी जांबाज शहीद रफीक खान के नाम से किया जाएं ताकि समाज के युवक शहीदों से प्रेरणा ले सके।
बड़े खेद कि बात है कि भारत सरकार के महामहिम राष्ट्रपति महोदया तक फरियाद की गई लेकिन स्थानीय प्रशासन व राज्य सरकार ने अपने स्तर पर आधी सदी गुजर जाने के बाद भी शहीद की उपेक्षा की है। 51 साल बाद तत्कालिन संभागीय आयुक्त बीकानेर ने जरूर इस प्रकरण को संभाग स्तरीय मीटिंग में तत्कालीन जिला कलेक्टर ने भी वीर चक्र शहीद के नाम की अभिशंसा के पत्र को शामिल करते हुए दिनांक 18 नवंबर 2022 की मीटिंग में तिराहे बनाने का प्रस्ताव पारित किया था कि इंडस्ट्रियल एरिया 5 नंबर रोड़ पर तिराहे का निर्माण वीर चक्र शहीद रफ़ीक खान के नाम से किया जाय । तिराहे बनाने का जिम्मा बीकानेर विकास न्यास ( U I T) को सौंपा था जो आज तक लंबित है । अफसोस जिला प्रशासन की उदासीनता से वीर चक्र शहीद रफ़ीक खान की बरसों से हो रही उपेक्षा से परिवारजन व बीकानेर का आमजन भी क्षुब्ध है। संभागीय आयुक्त के आदेश की अनुपालना भी नहीं हुई ।
बड़े अफसोस की बात है कि बीकानेर की राजनैतिक पार्टियां व बीकानेर की सभी सामाजिक संस्थाएं भी शहीद रफ़ीक खान की याद को चिर स्थायी रखने वाले सार्वजनिक स्थलों का नामकरण करवाने की आवाज तक बुलन्द नहीं कर रही है। शहीद के साथ भी भेदभावपूर्ण स्थिति सोचनीय व निंदनीय है। शहीद किसी जाति , समाज,धर्म व क्षेत्र का न होकर पूरे राष्ट्र की आन बान शान होता है ।
सरकार -प्रशाशन व बीकानेर के लोगों को ज्ञात होना चाहिए कि बीकानेर में दो ही वीर चक्र शहीद हुए हैं 1965 भारत पाक युद्ध में वीर मेजर पूरनसिंह जी जिनके नाम से सर्किल बना हुआ है व दूसरे 1971 भारत पाक युद्ध में वीर चक्र रफीक खान हैं जिनके नाम से आज तक कोई सर्किल नहीं ये विडम्बना ही है। वीर चक्र शहीद रफ़ीक खान के नाम से भी अन्य शहीदों की भांति अमिट यादगार रखने के लिए बीकानेर के किसी भी सार्वजनिक स्थल पर सरकार द्वारा यादगार स्मारक बना कर शहीद को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिए ।