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बीकानेर,डेंगू नियंत्रण को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रतिदिन अलग-अलग क्षेत्र में एंटी लारवा तथा एंटी एडल्ट गतिविधियां जारी है। इसी क्रम में गंगाशहर के चौरडिया चौक, बोथरा चौक, नायको का मोहल्ला, रानी बाजार औद्योगिक क्षेत्र तथा पीबीएम अस्पताल के विभिन्न परिसर के आसपास सघन एंटी लारवा तथा मच्छर रोधी गतिविधियां आयोजित की गई। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ राजेश कुमार गुप्ता ने बताया कि डिप्टी सीएमएचओ (स्वास्थ्य) डॉ लोकेश गुप्ता के नेतृत्व में जिला स्तरीय दल द्वारा आमजन को डेंगू के फैलने के कारण, बचाव तथा उपचार संबंधी जानकारी दी गई। मच्छर रोधी फास्ट कार्ड व अगरबत्तियां भी वितरित की जा रही है। आमजन को पंपलेट वितरित कर डेंगू से बचाव हेतु स्वयं घर पर एंटी लारवा गतिविधियां करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। कार्रवाई दल में सहायक मलेरिया अधिकारी अशोक व्यास, नर्सिंग अधिकारी विजय सिंह, जावेद अली, अजय भाटी व नरेश कुमार सहित नर्सिंग विद्यार्थी शामिल रहे। नगर निगम द्वारा जेएनवी कॉलोनी, तिलक नगर, रानी बाजार औद्योगिक क्षेत्र सहित शहर के विभिन्न हिस्सों में फोगिंग करवाई गई।

डॉ लोकेश गुप्ता ने बताया कि जिले में जनवरी से आदिनाँक डेंगू के 849, मलेरिया के 71 तथा चिकनगुनिया के 17 केस चिन्हित हुए हैं। प्रत्येक डेंगू पॉजिटिव व्यक्ति के आसपास के 50 घरों में सर्वे व मच्छर रोधी गतिविधियां आयोजित की जा रही है।

*हर घर में जरूरी एंटी लार्वल एक्टिविटी*
डॉ लोकेश गुप्ता ने आमजन को बताया कि मच्छरों की रोकथाम का सबसे प्रभावी तरीका होता है एंटीलार्वल एक्टिीविटी, जिसके तहत् मच्छरों को पनपने से ही रोक दिया जाता है। इस क्रम में गंदे पानी के इकट्ठा होने पर एमएलओ/काला तेल/पाइरेथ्रम छिड़काव, साफ पानी के तालाबों पर बीटीआई, पेयजल में टेमीफोस, खाद्य तेल, घरों में पाइरेथ्रम स्प्रे तथा जल स्त्रोंतो में मच्छर का लार्वा खाने वाली गम्बूशिया मछली डलवाने का कार्य जोरों पर है। आम जन को इस मुहीम से जुड़ते हुए एंटी लार्वा गतिविधियों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना होगा। पक्षियों के लिए रखे जाने वाले परिंडों को सप्ताह में एक बार खाली कर उन्हें बर्तन साफ करने वाले झामे से रगड़ कर, साफ कर व सुखाकर मच्छर के अण्डे एवं लार्वा नष्ट कर पुनः भरा जाये। कूलर, फ्रीज के पीछे की ट्रे, गमले, फूलदान इत्यादि हेतु भी यही प्रक्रिया अपनानी जानी चाहिए। इसके साथ ही छत पर रखे टूटे-फूटे सामान, कबाड़-टायर इत्यादि को हटाकर पानी इक्कठा होने से रोका जाये। पानी की टंकी एवं अन्य बर्तनों को ढंक कर रखा जाये जिससे मच्छर उनमें प्रवेश कर प्रजनन न कर सकें।

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