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जयपुर। उत्तर भारत के अधिकां‏श राज्यों में बेरोजगारी की स्थिति चिंताजनक है। हालांकि आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान सहित 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बेरोजगारी सितंबर माह में घटी है, लेकिन स्थिति फिर भी गंभीर है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के सितंबर के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में बेरोजगारी दर चार महीने के उच्च स्तर 16.8 फीसदी पर है। दो अंकों के आंकड़ों वाले अन्य राज्यों में राजस्थान में बेरोजगारी दर 17.9 प्रतिशत, हरियाणा में 20.3 प्रतिशत, जम-कश्मीर में 21.6 प्रतिशत और बिहार, त्रिपुरा, झारखंड और पुडुचेरी में 10 प्रतिशत से 15.3 प्रतिशत के बीच है। सीएमआईई के ताजा आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में सितंबर में 17.9 प्रतिशत की दर अगस्त की तुलना में 8.8 प्रतिशत अंक कम है। कोरोना का कहर कम होने के साथ ही रोजगार के अवसर एक बार फिर से मिलने लगे हैं। यही कारण है कि प्रदेश में बेरोजगारी का आंकड़ा पिछले माह के मुकाबले लगाग नौ प्रतिशत घटा है। वहीं दिल्ली में बेरोजगारी दर पिछले तीन महीने से लगातार बढ़ रही है। यह जून में यह 8.8 प्रतिशत, जुलाई में 10.7 प्रतिशत और अगस्त में 11.6 प्रतिशत थी, जिसमें अब 5.2 प्रतिशत अंक उछल आ गया है।

 

कहीं राहत, कहीं आफत के आंकड़े

 

जमू-कश्मीर में सितंबर की दर अगस्त की तुलना में 8 प्रतिशत अंक अधिक रही। यहां सितंबर के आंकड़े आठ महीने के उच्चतम स्तर पर है। पुडुचेरी ने क्रमिक रूप से बेरोजगारी में 3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। हिमाचल प्रदेश में सितंबर में बेरोजगारी 5 प्रतिशत अंक बढ़कर 8.7 प्रतिशत हो गई है। पंजाब में, यह 3.3 प्रतिशत अंक बढ़कर 9.3 प्रतिशत हो गया और केरल में यह 1.1 प्रतिशत अंक चढ़ गया। तमिलनाडु में बेरोजगारी दर अगस्त में 6.3 प्रतिशत से बढ़कर 7 प्रतिशत हो गई है। हालांकि हरियाणा में बेरोजगारी दर 20.3 प्रतिशत है, लेकिन यह आंकड़ा अगस्त में 35.7 प्रतिशत से कम है।

 

गांवों से ज्यादा शहरों की स्थितियां खराब

 

विशेषज्ञों के अनुसार पिछले कुछ सालों से भारत में नौकरियों के लिए माहौल कठिन है। कोरोना जैसी महामारी ने इस संकट को और भी बढ़ा दिया है। भारत की औसत बेरोजगारी दर 20 प्रतिशत को पार कर गई है। हालांकि यह अब 7 प्रतिशत नीचे गिर गई है। फिर भी भारत जैसे बड़े श्रम बाजार में 7 प्रतिशत राष्ट्रीय बेरोजगारी दर और 8.62 प्रतिशत शहरी बेरोजगारी को उच्च और चिंताजनक माना जाता है।

 

अवसर मिले कम और छिने ज्यादा

 

विशेषज्ञों के अनुसार एक ओर जहां आईटी, वित्तीय सेवाओं और खाद्य प्रसंस्करण ने बड़े पैमाने पर रोजगार मिल रहे हैं। वहीं कई सेक्टर्स में बड़े पैमाने पर रोजगार कम ाी हुए हैं। वस्त्र उद्योगों में सितंबर में लगभग 10 लाख नौकरियां कम हुईं। निर्माण क्षेत्र से ाी 1.5 मिलियन से अधिक कर्मचारियों पर गाज गिरी। इसी तरह ऑटोमोबाइल और परिवहन क्षेत्र में सितंबर में 35,0000 नौकरियां कम की गईं।

 

राजस्थान में इस साल बेरोजगारी दर

माह – बेरोजगारी दर

जनवरी – 17.7 प्रतिशत

फरवरी- 25.6 प्रतिशत

मार्च- 19.7 प्रतिशत

अप्रेल- 28.0 प्रतिशत

मई- 27.6 प्रतिशत

जून- 26.3 प्रतिशत

जुलाई- 21.1 प्रतिशत

अगस्त- 27.7 प्रतिशत

सितंबर- 17.9 प्रतिशत

 

(आंकड़े सीएमआईई के अनुसार प्रतिशत में )

 

टॉप तीन में प्रदेश

बेरोजगारी दर कम होने के बावजूद राजस्थान इस मामले में देशार में तीसरे नंबर पर है। देश में सबसे अधिक बेरोजगारी दी जमू-कश्मीर में 21.6 प्रतिशत है। इसके बाद हरियाणा दूसरे नंबर पर है, जहां यह दर 20.3 प्रतिशत है। 17.9 प्रतिशत के साथ राजस्थान तीसरे नंबर पर है। वहीं चौथे नंबर पर दिल्ली है, यहां बेरोजगारी दर 16.8 प्रतिशत है।

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