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बीकानेर,जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सानिध्य में रविवार को मास खमण के तपस्वी मुनि सत्व रत्न सागर की शोभायात्रा निकली, अभिनंदन किया गया। दो दिवसीय ट्रस्टी अधिवेशन संपन्न हुआ। आचार्यश्री 4 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक मौन रहकर एकांत में सूरी मंत्र साधना करेंगे।

श्री सुगन जी महाराज का उपासरा ट्रस्ट एवं श्री जिनेश्वर युवक परिषद के संयुक्त तत्वावधान में गाजे बाजे से निकली शोभायात्रा में मुनि सत्व रत्न सागर को पालकी में बिठाया गया । श्रावक पालकी को उठाएं हुए देव, गुरु व धर्म नारे लगा रहे थे। श्राविकाएं तपस्या के अनुमोदनार्थ गीत गा रही थी। चतुर्विद संघ के साथ निकली शोभायात्रा रांगड़ी चौक सुगनजी महाराज का उपासरा, नाहटा चौक के आदिश्वर मंदिर, भुजिया बाजार के भगवान आदिनाथ चिंतामणि मंदिर, भगवान महावीर स्वामी मंदिर, कोचरों का चौक आदि मार्गों से होते हुए प्रवचन पंडाल पहुंची। शोभायात्रा में मुनि सत्व रत्न की सांसारिक माता मटकादेवी, ,भाई, दिनेश छाजेड़, बहिन राजुल-राकेश डोसी सहित अनेक परिवार के सदस्य, प्रदेश व जिले के विभिन्न स्थानों से आए ट्रस्टी तथा बड़ी संख्या में बीकानेर के श्रावक-श्राविकाओं ने भागीदारी निभाई।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, जिनेश्वर युवक परिषद के संरक्षक पवन पारख, मनु मुसरफ, अध्यक्ष संदीप मुसरफ, मंत्री मनीष नाहटा, माल चंद बेगानी आदि ने बीकानेर के खरतरगच्छ के इतिहास में पहली बार मास खमण की तपस्या करने वाले मुनिश्री को परमात्मा की प्रतिमा भेंट कर अभिनंदन किया। अपने अभिनंदन पर मुनि सत्व रत्न सागर ने कहा कि देव, गुरु व धर्म आलम्बन, गुरु व मुनिवृंद की प्रेरणा से वे तपस्या कर पाए है।
जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने धर्म चर्चा में कहा कि जैन धर्म के प्रमुख आगम दशवैकालिक सूत्र में दान,शील व तप की महिमा बताई गई है। मुनि सत्व रत्न सागर ने दृढ आत्मबल, संकल्प बल व देव-गुरु की आज्ञा को शिरोधार्य कर आत्मबल के शौर्य व सत्व (ताकत) से तपस्या की है। मुनिश्री का तप की अनुमोदना के साथ अनुगमन करने योग्य है। मुनिश्री की तप से प्रेरणा लेकर कोई नियम लेकर रात्रि भोजन आदि त्याग का संकल्प लें तथा जिन शासन के बताए मार्ग पर चलें। बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर ने कहा कि देह व मन दोनों से तपस्याएं की है। देह की तपस्या सोमवार को पारणे के साथ संपन्न हो जाएगी लेकिन मन की तपस्या सजगता के साथ जारी रखते हुए आत्मा के गुणों पर रहे आवरण को हटाते हुए आत्म परमात्म तत्व की प्राप्ति की ओर बढ़ना है। मुनि शाश्वत रत्न सागर , मुनि श्लोक सागर, जयपुर के अनूप चंद, पारख, जोधपुर के अधिवक्ता सुनील डागा ने भी भावों को प्रकट करते हुए मुनिश्री के तप की अनुमोदना की ।
इनका किया अभिनंदन
जैनाचार्य पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, जिनेश्वर युवक परिषद के संरक्षक पवन पारख, मनु मुसरफ, अध्यक्ष संदीप मुसरफ, मंत्री मनीष नाहटा, श्रीमती अंजू मुसरफ, संतोष नाहटा, मूलाबाई दुगड़ व श्रीमती पारख ने अनेक श्रावक श्राविकाओं का दुपट्टा, श्रीफल, साड़ी आदि से अभिनंदन किया। इनमें बाड़मेर के मुनि सत्व रत्न सागर की माता व ताई मटकादेवी, भाई दिनेश छाजेड़, बहिन राजूल, बहनोई राकेश डोसी, निकटवर्ती परिजन महावीर छाजेउ, मोहिनी देवी, आसूलाल बोहरा, मगराज श्रीश्रीमाल, मीना देवी, उषा लोढ़ा, प्रवीण मालू, ललित मालू, जयपुर के अनूप चंद पारख, जोधपुर के सुनील डागा, चोहटन के दिनेश सेठिया, राजेन्द्र हर्ष, ज्ञानजी भंडारी, राजेश ढोर, दुर्ग के वीर बेगानी, नागौर के लक्ष्मीराज बेगानी आदि शामिल थे।

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