बीकानेर,विरासत संवर्द्धन संस्थान द्वारा ग़ज़ल संध्या का आयोजन रविवार शाम गंगाशहर स्थित टीएम ऑडिटोरियम में हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर की गई। यह रस्म संस्थान अध्यक्ष टोडरमल लालाणी, सुर संगम संस्थान अध्यक्ष के सी मालू, ओसवाल पंचायती के चंपालाल डागा, गंगाशहर नागरिक परिषद कोलकाता अध्यक्ष मदन मरोटी, कामेश्वर प्रसाद सहल, भैरव प्रसाद कत्थक, हंसराज डागा, जतनलाल दूगड़, संपत्त लाल दूगड़ आदि ने निभाई। इस अवसर पर प्रारम्भ में विरासत संवर्धन संस्थान से प्रशिक्षित मनोहरी, सुनीता, लक्ष्मी व भगवती गोस्वामी बहनों ने मांड व सारंग पर आधारित सुमधुर राजस्थानी गीत प्रस्तुत किये तो श्रोताओं ने तालियां बजाकर उन्हें सराहा। संस्थान से ही प्रशिक्षित लता मलघट ने मदनमोहन की संगीत रचनाओं व लता मंगेशकर द्वारा गाई गई रचनाओं *वो चुप रहे तो..* एवं *रस्में उल्फत को निभायें तो निभायें कैसे…* प्रस्तुत की तो श्रोताओं ने सचमुच लता का एहसास अनुभव किया।
विरासत अध्यक्ष टोडरमल लालाणी ने अपने आशीर्वचन में ग़ज़ल के बारे में बताते हुए कहा कि ग़ज़ल हमारी विरासत है, जिसका मूल रूप लुप्त हो रहा है। फिल्मी ग़ज़लों ने ग़ज़ल के मूल रूप पर प्रभाव डाला है। उन्होंने सुर संगम के के.सी. मालू द्वारा राजस्थानी सांस्कृतिक एवं संगीत विरासत के लगातार किये जा रहे प्रयासों व सामाजिक सरोकारों को दायित्वपूर्ण निर्वहन करने के लिए साधुवाद व्यक्त किया।
ग़ज़ल संध्या की मुख्य गायिका रीवा, मध्यप्रदेश से आईं मुकुल सोनी ने ग़ज़लों से बीकानेर के संगीत रसिकों को भाव विभोर कर दिया। मुकुल ने *ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे.., मेरे हम नफ़स मेरे हम नवा.., झुकी झुकी सी नज़र.., रंजिश ही सही, दिले नादान तुझे हुआ क्या है…, आज जाने की ज़िद्द ना करो* आदि ग़ज़लें प्रस्तुत कर श्रोताओं की दाद बटोरी। मुकुल ने फरमाइश पर भी उम्दा ग़ज़लें एवं *सुपनो-सूती थी रंग महल में.. आदि राजस्थानी गीत भी प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। उनकी प्रस्तुतियों पर तालियों एवं वाहवाही से पूरा ओडिटोरियम थिरकन महसूस करता रहा।
संगीत गुरू पंडित पुखराज शर्मा के निर्देशन में आयोजित इस कार्यक्रम में हारमोनियम पर पंडित पुखराज शर्मा, तबले पर गुलाम हुसैन, सारंगी पर दायम अली, की-बोर्ड पर हसमत अली व ऑक्टोपैड पर मोहसीन खान ने संगत की। मंच संचालन हेमंत डागा ने किया। उन्होंने प्रस्तियों के साथ ही साथ गीतों व ग़ज़लों के बारे में विस्तृत जानकारी भी दी।
कार्यक्रम के शुभारंभ में जतनलाल दूगड़ ने बताया कि टी.एम. आडिटोरियम एवं विरासत संस्थान के संस्थापक श्री टोडरमल लालानी अपने वय के 9 दशक सम्पन्न कर रहें हैं। इस उम्र में भी वे जिस लग्न व भावना से हमारी भारतीय व राजस्थानी संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन का काम कर रहें हैं, वह स्तुत्य है। उपस्थित सभी संगीत रसिकों ने उनके सुदीर्घ, स्वस्थ एवं कल्याणकारी जीवन की कामना की।
दूगड़ ने कहा कि जिस प्रकार एक और एक मिलकर ग्यारह हो जाते हैं, उसी प्रकार लालानी जी एवं मालू जी विरासत एवं सुर संगम के माध्यम से संगीत प्रेमियों के लिए उल्लेखनीय अवसर प्रदान कर महत्वपूर्ण कार्य कर रहें हैं।
कार्यक्रम में एडवोकेट किशनलाल बोथरा, डॉ जेठमल मरोटी, डॉ अज़ीज़ अहमद, अमित असित गोस्वामी, राजकुमार दूगड़, जतनलाल सेठिया, दीपचंद सांखला, सुमति बांठिया, भैरूदान सेठिया, शांतिलाल कोचर आदि शामिल हुए।
वयोवृद्ध डॉ अज़ीज़ अहमद ने इस प्रकार के आयोजनों के लिए आयोजकों व कलाकारों की सराहना करते हुए अपने उद्गार भी व्यक्त किए।