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बीकानेर,राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय बीकानेर में तीन दिवसीय हिन्दी दिवस समारोह का समापन समारोह पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया । इसके मुख्य अतिथि पूर्व प्राचार्य, उच्च शिक्षा विभाग प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिन्नाणी थे। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री जुगलकिशोर पुरोहित ने की। समारोह में विशिष्ठ अतिथि पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के श्री मनोहर सिंह, सहायक प्रशासनिक अधिकारी एवं श्रीमती सुमन, परिरक्षक रहे।
मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार रखते हुए पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिन्नाणी ने दैनिक जीवन में हिन्दी का अधिक से अधिक प्रयोग करने पर बल दिया । उन्होंने कहा कि हिन्दी का विश्व की समस्त भाषाओं में अपना एक विशेष स्थान है। डिजिटलाइजेशन के इस युग में कृत्रिम बुद्धिमता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से आज प्रत्येक जानकारी हिन्दी में उपलब्ध है । अतः देश के विकास एवं रोजगार उपलब्ध करने की दृष्टि से हिन्दी की महत्ता अभूतपूर्व हो सकती है । प्रोफेसर डॉ. बिन्नाणी ने कहा कि युवाओं के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता की दृष्टि से हिंदी भाषा का विशिष्ट महत्व है । उन्होंने कहा कि प्रतियोगियों को हिंदी भाषा को व्याकरण से श्रंगारित करना सीखना चाहिए ।
समारोह के अध्यक्ष जुगल किशोर पुरोहित ने कविता प्रस्तुत कर पाठकगण सदस्यों को मंत्रमुग्ध किया। कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि मनोहर सिंह ने हिन्दी के उपयोग पर बल दिया। सुमन ने हिन्दी दिवस पर अपने विचार प्रकट किये। कार्यक्रम में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें राजकीय डूंगर महाविद्यालय के छात्र रजत राणा ने प्रथम स्थान, पारस राणा ने द्वितीय स्थान तथा प्रदीप गोदारा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
भाषण प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के सौजन्य से प्रोफेसर डॉ. बिन्नाणी, जुगल किशोर पुरोहित, मनोहर सिंह, सुमन एवं विमल कुमार शर्मा द्वारा प्रमाण-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया । अतिथियों का स्वागत महेश पांडिया, भंवर लाल खत्री, इन्द्र कुमार ओझा, शिवकरण चौधरी ने किया। कार्यक्रम में केसरी सिंह भाटी, रामस्वरूप बिश्नोई, सत्यनारायण बिश्नोई, परामर्शदाता रश्मि लाटा उपस्थित रहे। कार्यक्रम संचालन विमल कुमार शर्मा, पुस्तकालयाध्यक्ष द्वारा किया गया।

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