बीकानेर,जयपुर। संयुक्त अभिभावक संघ ने बीएड करने वाले अभ्यार्थीयों की शिकायत के बाद पीटीईटी डूंगरपुर, बीकानेर द्वारा छोड़ी और बड़ी दीपावली पर घोषित काउंसलिंग के कार्यक्रम में बदलाव की मांग की है। संयुक्त अभिभावक संघ का कहना है कि 3 नवम्बर और 4 नवम्बर को राज्यभर में छोड़ी और बड़ी दीपावली का पावन पर्व प्रत्येक घरों में मनाया जाएगा व देश का सबसे बड़ा और राष्ट्रीय पर्व होने के बावजूद काउंसलिंग रखना राज्य सरकार और शिक्षा विभाग की ओछी मानसिकता को दर्शाता है।
प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने पीटीईटी डूंगरपुर, बीकानेर द्वारा 3 व 4 नवम्बर बीएड के अभ्यार्थियों की रखी गई काउंसलिंग का विरोध करते हुए डेट बदलने की मांग की है। बीएड करने वालों में अधिकतर महिलाएं/युवतियां अधिक भाग लेती है जो पहले विभिन्न परिस्थियों को दूर से गुजर रही है और राष्ट्रीय त्यौहार होने के बावजूद छोटी और बड़ी दीपावली को काउंसलिंग रखना दुर्भाग्यपूर्ण है। सत्ता के नशे और अहंकार में दूर राज्य सरकार ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को राम भरोसे छोड़ अभ्याथियों को साजिशन परेशान करने को लेकर काउंसलिंग की डेट जानबूझकर दीपावली के दिन की रखी। अगर काउंसलिंग की डेट में अगले एक-दो दिन में बदलाव नही किया गया तो जनांदोलन होगा।
*झुंझनु सातवीं की छात्रा के साथ बलात्कार करने वाले प्रधानाचार्य के खिलाफ संयुक्त अभिभावक संघ ने मुख्यमंत्री, महिला, बाल एवं मानवाधिकार आयोग में लिखा पत्र*
प्रदेश में एक के बाद एक प्रत्येक जिलों में से बच्चियों के साथ हो रही हैवानियत पर सख्ती बरतने, प्रधानाचार्य और शिक्षकों के चरित्र जांचने एवं आरोपी एवं मनचले शिक्षकों को तत्काल नोकरी से हटाने सहित सख्त कानून बनाने की मांग को लेकर संयुक्त अभिभावक संघ ने मुख्यमंत्री सहित महिला आयोग, बाल आयोग एवं मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर मांग की है।
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने जानकारी दी कि 5 अक्टूबर को झुंझनू के ग्रामीण क्षेत्र के एक सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य द्वारा सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची के साथ हैवानियत करते हुए बलात्कार किया था जिसके बाद बालिका ने अध्यापिकाओं से भी सहायता मांगी थी किन्तु उन्होंने नही की।
अभिषेक जैन ने कहा कि ” प्रदेश में योजनाबद्ध तरीके से सरकारी शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है जिसके चलते निजी स्कूलो को बढ़ावा दिया जा सके। कोरोना महामारी के दौर में जिस प्रकार बड़ी संख्या में अभिभावकों ने निजी स्कूलों की मनमानियों के खिलाफ सरकारी स्कूलों की और रुख किया उससे निजी स्कूलों में डर सताने लगा है और अब सरकारी स्कूलों के खिलाफ माहौल बनाकर सरकारी शिक्षा व्यवस्था को ठप करने की बहुत बड़ी साजिश रची जा रही है। पिछके एक साल में सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्य और शिक्षकों की हैवानियत के दर्जनों मामले सामने आ चुके है किन्तु ना राज्य सरकार ने अब तक कोई गम्भीरता दिखाई ना प्रशासन ने कोई गम्भीरता दिखाई।