Trending Now












बीकानेर,साहित्य मनीषी कन्हैयालाल सेठिया राजस्थानी मान्यता आंदोलन के आगीवाण एवं समर्पित पुरोधा थे। पद्मश्री कन्हैयालाल सेठिया मानवीय चेतना और सामाजिक सरोकारों के सच्चे पैरोकार थे, साथ ही समय के सच को उद्घाटित करना उनके रचनाकर्म का समर्पित भाव था। यह उद्बोधन राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार एवं राजस्थानी मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा ने आज प्रातः नत्थूसर गेट बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा राजस्थानी के महान विद्वान कन्हैयालाल सेठिया की 105वीं जयंती समारोह के अवसर पर व्यक्त किए। रंगा ने उन्हें नमन-स्मरण करते हुए इस अवसर पर विशेष रूप से उनकी चर्चित राजस्थानी काव्य कृतियां रमणियां रा सोरठा, गळगचिया, मींझर, कूंकंऊ, लीलटांस, धर कूंचा धर मंजळां, मायड़ रो हेलो, सबद, सतवाणी, अधरीकाळ, दीठ, कक्को कोड रो, लीकलकोळिया एवं हेमाणी पर अपनी बात रखते हुए उन्हें राजस्थानी साहित्य की काव्य विधा को समृद्ध करने वाली बताई।

समारोह में बतौर अतिथि वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने कहा कि स्व सेठिया जी का साहित्य हमेशा मानवीय पीड़ा का पैरोकार रहा एवं शोषित वर्ग के पक्ष में उनकी कलम हमेशा चली उनकी कविता ‘कुण जमीन रौ धणी…’ के माध्यम से जाकिर अदीब ने अपनी बात को विस्तार दिया। अपनी विनम्र श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविद् संजय सांखला ने उन्हें स्मरण करते हुए उनकी हिन्दी और राजस्थानी साहित्य यात्रा को रेखांकित करते हुए उनकी रचनाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की। इसी क्रम में कवि गिरिराज पारीक ने उन्हें राजस्थानी मान्यता का समर्पित यौद्धा बताते हुए उनके साहित्य संसार की चर्चित पुस्तक ‘लीलटांस’ पर अपनी बात रखी।
समारोह में युवा कवि-नाटककार पुनीत कुमार रंगा ने उनकी चर्चित कई राजस्थानी कविताओं का वाचन किया एवं साथ ही उनके जीवन के अन्य आयामों यथा स्वतंत्रता सेनानी, पर्यावरणविद् की भी चर्चा करते हुए उन्हें बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी बताया।
बीकानेर करूणा क्लब के उपाध्यक्ष एवं शिक्षाविद् राजेश रंगा ने उनकी कविता ‘पीथळ और पाथळ’ के संदर्भ में चर्चा की एवं उनके राजस्थानी साहित्य योगदान को रेखांकित किया। इस अवसर पर नालन्दा करूणा क्लब इकाई के सदस्यों ने कन्हैयालाल सेठिया की राजस्थानी कविता ‘आ धरती धोरां री..’ का समूह रूप में वाचन किया।
सेठिया के 105 वीं जयंती समारोह में उन्हें नमन-स्मरण करते हुए भवानीसिंह, नवनीत व्यास, कार्तिक मोदी, अशोक शर्मा, अख्तर ने उन्हें राजस्थानी-हिन्दी का महान् विद्वान बताया।
जयंती समारेाह का संचालन युवा शिक्षाविद्-संस्कृतिकर्मी आशीष रंगा ने किया एवं सभी का आभार सुनील व्यास ने ज्ञापित किया।

Author