बीकानेर,देशभर में गोचर संरक्षण और विकास विषय पर 15 सितम्बर को राष्ट्रीय वेविनर आयोजित होगी। इसमें गुजरात गोचर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष डा. वल्लभ भाई कथिरिया, राजस्थान में गोचर संरक्षण और विकास पर जन आंदोलन के अगुवा पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी, प्रकाश व्यास, लक्ष्मण सिंह लापोडिया, जुगल सिंह , गिरीश भाई शाह समेत हर प्रदेश से गोचर पर काम करने वाले प्रतिनिधि लोग शामिल होंगे। इस दौरान गोचर विकास और संरक्षण की राष्ट्रीय नीति पर विचार किया जाएगा। वेवीनार 15 सितम्बर 2024 को पूर्वान्ह 11 बजे gcci के मंच से होगी। इसमें gcci के अभी राज्यों के प्रतिनिधि , राष्ट्रीय कार्यकारिणी और गोचर, ओरण बहाव क्षेत्र और चारागाह विकास पर काम करने वाले देश के प्रमुख लोगों को आमंत्रित किया गया है। वेवीनार 11 से 1 बजे तक चलेगी। प्रथम भाग में 45 मिनट का समय gcci के अध्यक्ष डा वल्लभ भाई कथिरिया, gcci राष्ट्रीय सलाहकार राजस्थान के पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी तथा दो अन्य वक्ताओं का रहेगा। दूसरे चरण में 45 मिनट इस क्षेत्र में काम करने वाले प्रमुख लोग अनुभव सांझा करेगे। तीसरे चरण में 30 मिनट सुझाव, समस्याएं और शंका निवारण के लिए रखा गया है। इस राष्ट्रीय वेवीनार का उद्देश्य 1 गोचर संरक्षण और विकास की राष्ट्रीय नीति बनाना। 2 देशभर में इस विषय पर काम करने वाले लोगों को संबल देना और एक मंच पर लाना। 3 देश में गोचर संस्कृति की पुर्नस्थापना , संरक्षण और विकास का भारत सरकार को प्रस्ताव देना। 4 सभी राज्यों में गोचर, ओरण और चारागाह विकास की नीति बनाना। राजस्थान सरकार ने पूरे प्रदेश में गोचर पर से अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी किए है। गांवों में गोचर ग्राम पंचायत के क्षेत्राधिकार में है।गोचर सार्वजनिक रूप से गायों को चराने का स्थल है। राजस्थान में 9 लाख हेक्टेयर से अधिक गोचर भूमि है। इसमें से 3 लाख हेक्टेयर पर अतिक्रमण बताया जा रहा। देवी सिंह भाटी के नेतृत्व में गोचर संरक्षण और विकास को लेकर प्रदेश स्तर का सम्मेलन में समीक्षा की गई और राजस्थान सरकार को ज्ञापन भेजा गया। बीकानेर शहर के आस पास 45 हजार बीघा गोचर भूमि है। सरेह नथानिया गोचर संरक्षण और विकास मॉडल देवीसिंह भाटी के नेतृत्व में चल रहा है। गोचर की सुरक्षा के लिए 40 किलोमीटर में दीवार बनाई जा रहा है। वहीं गोचर में चारागाह विकास और जल संरक्षण का काम भी किया जा रहा है। इस राष्ट्रीय सम्मेलन से देश में गोचर विकास और सरक्षण के काम को बड़ा मंच मिल सकेगा। डा. कथिरिया ने भी गुजरात में गोचर संरक्षण और विकास के माडल तैयार किए।
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