बीकानेर,जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने गुरुवार को ढढ्ढा चौक के चौक में धर्म चर्चा में बताया कि महाराणा प्रताप के देश धर्म कर्तव्य पालना के समय आई मुसीबत के समय भामाशाह ने अपने खजाने को समर्पित कर दिया। भामाशाह ने अपनी पत्नी के तीन वचनों धन समर्पित कर अहंकार नहीं करुंगा, समर्पित धन सम्पति को वापस नहीं लूंगा तथा कभी भी देश के लिए समर्पित धन के लिए खेद व क्षोभ प्रकट नहीं करुंगा’’ की पालना करते हुए धन को समर्पित किया।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र व स्वधर्मी के संकट, विपरीत परिस्थिति व समस्या के समय तन, मन व धन से बिना अहंकार, दिखावा किए हुए समर्पित भाव से सेवा करनी चाहिए। राष्ट्र के सुरक्षित रहने से सभी देशवासी तथा स्वधर्मी के रक्षा से जिन शासन सुरक्षित रहेगा।
बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर ने कहा कि कार्य-व्यापार में लाभ होने पर श्रावक परिवार की मर्यादा के अनुसार अपनी धर्म पत्नी को वस्त्र व आभूषण सुलभ करवावें। नारी अपने आभूषणों का श्रृंगार तीन त्रिलोकी नाथ परमात्मा की भक्ति के समय करें। तीर्थ में प्रभु भक्ति में आभूषणों का उपयोग करने से कर्मों की निर्जरा होती है। नारी आभूषणों का उचित व्यवहार में विवेकशील व अनुशासन के साथ उपयोग करें। पति की विपरीत परिस्थिति में आभूषणों को बाजार की देनदारी चुकाने में उपयोग करें। अपने श्रावक पति की विकट परिस्थिति में तनाव व समस्या को दूर करने वाली धर्म पत्नी तथा इसके विपरीत आचरण करने वाली कर्म पत्नी कहलाती है।
भगवान कुंतुनाथ मंदिर में शुद्धिकरण
आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में गुरुवार को रांगड़ी चौक के कुंथुनाथ मंदिर में पवन खजांची के नेतृत्व में श्रावकों ने मंदिर मंदिर को साफ सुथारा व शुद्धिकरण की सेवा की। पूजा के वस्त्रों में श्रावकों के समूह ने मंदिर शुद्धिकरण के बाद पूजा की।
तपस्या की अनुमोदना व अभिनंदन
आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में पिछले 39 दिनों से चौविहार (बिना अन्न जल) के तपस्या करने वाले कन्हैयालाल भुगड़ी व 21 दिन की तपस्या पूर्ण करने वाले रौनक बरड़िया, 9 दिनों की तपस्वी अंतरादेवी बोथरा व 8 दिन की तपस्वी चिराग सुराणा के तप की अनुमोदना की गई। इस अवसर पर वरिष्ठ श्रावक निर्मल पारख व जितेन्द्र सेठिया ने उज्जैन के भूपेन्द्र सावन सुखा, नागौर मूल के चेन्नई प्रवासी शांति लाल कोठारी का अभिनंदन दुपट्टा, श्रीफल आदि से किया। गुरुवार को प्रभावना का लाभ संघवी राजेन्द्र, कृष्ण व अनुपम लूणिया परिवार ने लिया।
संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र (पयन्ना) की मंत्र जाप
जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में चल रहे श्री 45 आगम तप में गुरुवार को ढढ्ढा चौक की आगम वाटिका में 33 वें आगम संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र (पयन्ना) की मंत्र जाप के साथ आराधना की गई। आचार्यश्री ने धर्म चर्चा में बताया कि इस महाग्रंथ में मृत्यु का स्वागत करने वाली विधि है। संथारा स्वीकार करने वाले मुनि सतत जिन वचन का मनन चिंतन करें ऐसा उपदेश विशेष रूप से दिया है। अंत में पानी का भी त्याग करके आत्म समाधि में लीन होने का विधान है।