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बीकानेर,सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज और पीबीएम हॉस्पिटल में 150 करोड़ से अधिक की वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत की जांच के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग का दल यहां पहुंचा। दल ने आरोपों से संबंधित फाइलें कब्जे में ली हैं। जांच आज भी जारी रही। इस जांच को लेकर प्रशासन में हड़कंप मचा रहा।

पीबीएम हॉस्पिटल में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत पीबीएम हेल्प कमेटी ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री से की थी। सीएमओ के निर्देश पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रासिंह ने उपनिदेशक खेमाराम यादव के नेतृत्व में जांच दल को बीकानेर भेजा है। दल में वरिष्ठ लेखाधिकारी संजय प्रतिहार और सहायक लेखाधिकारी सूरजमल भी शामिल हैं। दल ने हॉस्पिटल में पहुंचकर लेखा शाखा से 2019 से लेकर अब हुई दवाओं और उपकरणों की खरीद, सफाई, मैन पावर, एमआरआई मशीन, लिनियर एस्सीलेटर लगाने से संबंधित सभी टेंडरों की फाइलें मंगवाई हैं। मुख्य लेखाधिकारी विजयशंकर गहलोत से प्रत्येक बिंदू पर पूछताछ की। तत्कालीन सहायक लेखाधिकारी दीनदयाल खड़गावत के संबंध में भी जानकारी ली। दल ने खास तौर पर एसएसबी में एमआरआई मशीन को ठेके पर देने से संबंधित दस्तावेजों की गहराई से पड़ताल की है।

आरोप है कि यह मशीन बिना टेंडर एसएसबी में स्थापित की गई है। दरअसल मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी की बैठक में प्रस्ताव लेकर मेडिकेयर सर्विसेज कंपनी को ही एसएसबी में एमआरआई मशीन लगाने की अनुमति दी गई थी। यह फर्म 14 साल से पीबीएम हॉस्पिटल में महाराजा एमआरआई-सिटी स्कैन सेंटर चला रही है। ट्रॉमा सेंटर में भी फर्म ने सिटी स्कैन मशीन लगा रखी है। इसी प्रकार कैंसर की जांच में काम आने वाली लिनियर एस्सीलेटर मशीन भी बिना टेंडर खरीदने के आरोप हैं। दल ने उसके दस्तावेज भी मांगे हैं। डॉक्टरों पर घर पर मरीज देखने और दवा की दुकानें संचालित करने का भी आरोप है। इस संबंध में दल ने प्रेक्टिस अलाउंस उठाने और नहीं उठाने वाले डॉक्टरों की लिस्ट मांगी है। पीबीएम हेल्प कमेटी के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह राजपुरोहित और संयोजक एडवोकेट बजरंग छींपा ने मुख्यमंत्री और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव को ज्ञापन देकर पीबीएम में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल, पीबीएम अधीक्षक, एक डॉक्टर और कर्मचारी के विरुद्ध जांच की मांग की थी। इस संबंध में लोकायुक्त में भी परिवाद दर्ज है।

 

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