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बीकानेर बीकानेर में 15 अगस्त को करणी सिंह स्टेडियम में आयोजित मुख्य स्वाधीनता दिवस समारोह के तुरंत बाद सर्किट हाउस में आयोजित एटहोम समारोह में सूचना और जन संपर्क विभाग की ओर से प्रेस को भी आमंत्रित किया गया। यह परंपरा चली आ रही है कि इस दौरान प्रेस के लोग मंत्री और प्रशासन के साथ जनहित के मुद्दों पर चर्चा करते हैं सुझाव और सवाल भी होते आए हैं। इस एटहोम में मंत्री सुमित गोदारा और जिला कलक्टर नम्रता वृष्टि पूरे समय आपसी बातचीत में उलझे रहे। दोनों के संवाद पर उनका अभिवादन करने तथा बातचीत के इंतजार में आए लोगों की नजरें टिकी रही। खैर ऐसे लोग कुछ समय बाद स्थिति को भांपकर नाश्ते की टेबल पर चले गए। फिर भी मंत्री और कलक्टर बातचीत में उलझे रहे। उनको एहसास ही नहीं हुआ कि वे सार्जनिक कार्यक्रम में है। उनकी बातचीत की भाव भंगिमा पर एक पत्रकार ने आपसी टिप्पणी में कहा शायद मंत्री कलक्टर की कार्यशैली से क्षुब्ध है। लगता नहीं अब कलक्टर ज्यादा दिन बीकानेर में रह पाएगी। दूसरे ने कहा हो सकता है कलक्टर मंत्री के रवैए से दुखी हो और अपना दुखड़ा रोने का अब ही मौका मिला हो।भले ही ये बातें कयास ही हो, परंतु जिस भाव भंगिमा से मंत्री और कलक्टर इस समारोह में बातचीत कर रहे थे उसका वहां इस समारोह में शामिल लोगों पर अच्छा संदेश नहीं गया। यही माना गया कि मंत्री और कलक्टर के बीच तनाव है। वैसे उनकी आपसी इस तरह बातचीत करने का वहां आए अन्य लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा होगा? मंत्री और कलक्टर खुद समझ सकते हैं। भले ही कुछ भी प्रभाव वे माने उनका यह रवैया सामान्य शिष्टाचार के विरुद्ध तो था ही। इससे उनके सार्वजनिक कार्य व्यवहार और सामान्य प्रोटोकॉल पर भी सवाल उठता है। मंत्री और कलक्टर के बीच जरूर कोई महत्वपूर्ण ज्वलंत मुद्दा रहा होगा पर इस सार्वजनिक समारोह में इस बातचीत का इंप्रेशन उनकी इमेज को कितना बढ़ता है वे खुद ही समझ सकते हैं। जहां और लोग भी कलक्टर या मंत्री से मिलना चाहे उनका यह व्यवहार शोभा नहीं देता। कलक्टर और मंत्री एक व्यक्ति नहीं है इन पदों की अपनी मर्यादाएं होती है। अगर इन पदों के लोग साधारण शिष्टाचार का भी उल्लंघन करते हैं तो इन पदों की गरिमा घटाते है। खैर हुआ सो हुआ। प्रेस के लोगों ने अपना काम किया। आमंत्रित लोगों ने स्वाधीनता दिवस पर एटहोम में खाने का लुफ़्त उड़ाया। जन संपर्क विभाग ने प्रेस को आमंत्रित कर पूरा सम्मान दिया। इतिश्री।

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