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बीकानेर,जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरिश्वरजी के सान्निध्य में जैन धर्म 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के 2800वें निर्वाण कल्याणक पर 8 दिवसीय शुक्रवार से 16 अगस्त तक आयोजित किए जाएंगे। आचार्यश्री ने 18 दिन की तपस्या करने वाले कन्हैयालाल भुगड़ी को आशीर्वाद दिया ।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट एवं श्री जिनेश्वर युवक परिषद के संयुक्त तत्वावधान में सकल श्रीसंघ के सहयोग से भगवान पार्श्वनाथ के निर्वाण कल्याणक पर पहली बार बड़े पैमाने पर विविध कार्यक्रम हो रहे है। श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा व श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ ने बताया कि शुक्रवार को 2800 किलो मिठाई का वितरण बड़ा बाजार, गंगाशहर गोल मंदिर, कोटगेट, महावीर भवन, शिवबाड़ी में किया जाएगा। सामूहिक एकासना डागा, सेठिया पारख मोहल्ला के महावीर भवन में व भक्ति का कार्यक्रम भीनासर के पार्श्वनाथ मंदिर में होगा। रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में भी पूजा की जाएगी।

श्री 45 आगम तप में औपपातिक सूत्र की आराधना
आचार्यश्री के सान्निध्य में गुरुवार को ढढ्ढा चौक की आगम वाटिका गुरुवार को औपपातिक सूत्र की आराधना जाएगी। आचार्यश्री ने धर्म चर्चा में बताया आचारंग सूत्र पर आधारित इस उपांग सूत्र का शास्त्रीय नाम उववाई है। इसमें श्रेणिक राजा के पुत्र कोणिक महाराजा ने भगवान महावीर परमात्मा जब चंपा नगरी के पूर्णभद्र चैत्य में समवसरे तब प्रभु का भव्यातिभव्य सामैया किया गया उसका वर्णन है। अबंड परिव्राजक और उसके 700 शिष्यों का वर्णन है, जिसमें ऐसा उल्लेख है कि वे वेशभूषा से परिव्राजक (तापस) थे, परन्तु वे श्रावक धर्म का पालन करते थे और उनके 700 शिष्य रास्ते में जंगल में पानी न मिलने पर अत्यन्त तृषातुर हुए तब वे सब प्रभु वीर की साक्षी से सर्व विरति अनशन करके काल धर्म प्राप्त करते हुए देव हुए। अबंड परिव्राजक देवलोक से महाविदेह में दृढ प्रतिज्ञ नामक श्रावक होंगे व मोक्ष जाएंगे। शुक्रवार को श्री राज प्रश्नीय सूत्र (द्वितीय उपांग सूत्र) की आराधना की जाएगी।

जैन धर्म में जबरदस्ती नहीं

धर्मचर्चा में आचार्य श्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने कहा कि जैन धर्म जबरदस्त है, इसमें जबरदस्ती नहीं है। जो लोग जैन धर्म में जबरदस्ती से तपस्याएं व देव, गुरु व धर्म के विरुद्ध अन्य क्रियाएं करवाते है वे पाप का कर्म बंधन बांधते है। परमात्म व गुरु कृपा व आत्म प्रेरणा से धार्मिक क्रियाओं के लिए प्रेरित करने से पुण्य की प्रभावना होती है। उन्होंने कहा कि पुण्य व सुकृत्य का मौका मिले तो उसे कर लेना चाहिए। बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर सूरिश्वरजी ने विषय विस्तार करते हुए कहा कि आध्यात्म कक्षा में कहा कि आत्मा ही स्वयंकर्ता व भोक्ता है। किसी तरह के पाप से दूसरों का पोषण करने से पाप का कर्म का दोष, पाप का फल पापकर्ता को ही भोगना पड़ता है। गुरुवार को प्रभावना का लाभ सुश्रावक बाबूलाल, गेवरचंद, संतोक चंद व मनु मुसरफ परिवार ने लिया।

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