बीकानेर,राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए एक अखबार की पहल का स्वागत किया जा रहा जबकि नाचीज़ बीकानेरी का मानना है कि इस लम्बी लड़ाई को अंतिम पडाव तक लाने में माणक पत्रिका , दैनिक युगपक्ष , सूरतगढ़ टाईम्स, राजस्थली,राजस्थानी वाणी राजस्थानी पाती , रूडो राजस्थान जागती जोत ,राजस्थानी फिल्मों , वीणा म्यूजिक ,साहित्यिक पत्र पत्रिकाएं साप्ताहिक , पाक्षिक , दैनिक समाचार पत्रों की अहम भूमिका रही है ।
राजस्थान के साहित्यकारों की जबरदस्त भूमिका का ही ये फल है।, छोटी बड़ी मान्यता आन्दोलन से जुड़ी संस्थाओ संगठनों द्वारा संचालित किए गए आंदोलनों के अथक प्रयास से ही आज इस आन्दोलन को ऊंचाई तक लाने में कामयाब प्रयास रहे हैं
राजनेतिक दलों से जुड़े लोग भी अपनी पहचान व अपनी मातृ भाषा के लिए अपनी अहम भूमिका निभाने में हिस्सेदार बनने लगे हैं अब राजनेतिक दलों के लिए भी गले की फांस बन गई है ये सरकार पूंजीपतियों की सरकार है वर्तमान में सता में जो सरकार है उसकी साख दांव पर है ऐसे में अखबार विशेस के माध्यम से आंदोलित लोगों को आशान्वित कर ध्यान भटकाने की दिशा में कोई काम कर रही है हमे सचेत सजग रह कर मान्यता व राज भाषा के लिए संघर्ष को गति प्रदान करते रहना है एक हबीड़ो जोरों से मारो अभी नहीं तो कभी नही ।