बीकानेर,मोदी सरकार के बजट ने आम आदमी को बहुत निराश किया है। ये बजट मोदी सरकार की चुनावों के परिणामों में मिली हताशा को दिखाता है। ये बजट युवाओं के लिये रोज़गार के नाम पर एक छलावा है। आज देश में 20 से 24 वर्ष का 45 प्रतिशत युवा बेरोज़गार हैं। वहीं 25 से 29 वर्ष का 14 प्रतिशत युवा नौकरी की तलाश में है। मोदी सरकार ने इस बार रोज़गार के नाम पर उन्हें इंटर्नशिप में जोड़ कर उनके सपनों के साथ धोखा किया है। सामाजिक विकास की योजनाओं पर भी कुछ नहीं किया गया है।
किसानों के मुद्दे पर भी बज़ट में बहुत् निराशा है। एमएसपी को क़ानूनी जामा पहनाने व स्वामीनाथन कमेटी की एमएसपी के मूल्य में बढ़ोतरी के लिये की गयी सिफ़ारिशों पर सरकार ने कुछ नहीं किया। कृषि से संबंधित चीजों पर कम कर की दरें, कर्ज माफ़ी आदि पर सरकार का रवैया बहुत नकारात्मक है। किसान इसका जवाब आंदोलन से देगें।
आंध्र प्रदेश व बिहार के लिये आर्थिक प्रावधान इनकी मजबूरी को बताता है। दूसरे भी कई राज्य हैं जिन्हें आर्थिक प्रावधानों कि ज़रूरत थी उनके साथ पक्षपात किया गया है।
सोने पर कर की दर में कमी कैसे आम आदमी को इसमे निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगी ये समझ से बाहर है। जीएसटी की दरों में बदलाव आसमान छूती महंगाई के मद्देनज़र ज़रूरी था जिस पर भी कुछ नहीं किया गया है।
कुल मिलाकर ये बजट मोदी सरकार की आम आदमी के लिये नकारात्मक सोच को बताता है।