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बीकानेर,सरकार कोई भी हो, उसे आम आदमी की फ़िक्र नहीं होती। वोट के लिए नेता लोग उनके घरों तक जाएँगे और मीठी मीठी बाते करेंगे और कुर्सी मिलने के बाद वे उनसे किनारा कर लेंगे। और राइसो, पूँजीपतियों और धनी लोगों के हितों के लिए ही उनकी सोच और नीतियाँ बनेगी क्योंकि उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए उन्हें और पार्टी को बेशुमार फण्ड जो दिया है । इसलिए उनके हितों का ध्यान पहले और बाद में आम आदमी की बात। अभी अम्बानी के बेटे की शादी में आम जनता ने नज़ारा देखा जिसमे प्रधान मन्त्री से लेकर देश के नामी नेता , अभिनेता सब शामिल रहे। गिफ्ट और उपहारों का ताँता लग गया। अम्बानी की शादी में इतने सेलिब्रिटीज़ के जाने के बाद भी आख़िरकार देश के दो नामचीन लोग नहीं पहुँचे— पहला मैं, और दूसरे आप !! इधर अम्बानी ने भी विवाह से एक दिन पहले मोबाइल रिचार्ज के रेट बढ़ा कर आमआदमी से विवाह का खर्चा वसूल कर लिया। वैसे ही हमारे नेता लोग बड़े , चतुर और भूलककड होते है कुर्सी पर आते ही पाँच साल तक ये अपने मतदाताओं या आम आदमी को भूल जाते हैं। इन्हें अपनी अगली सात पीढ़ियो का इंतज़ाम जो करना है। उधर आम आदमी सरकार के बढ़ते टैक्सों से अपना पिण्ड नहीं छुड़ा पाता और इधर उसे महंगाई मार जाती हैं। महंगाई का सबसे ज़ायदा असर आम आदमी ही झेलता है। देखा ज़ाय तो हर आम आदमी इस समय निराशा में जी रहा हैं और उधर पूँजीपति और आमिरज़ादे सरकार से अधिक फ़ायदा उठा रहे हैं। अब आप देखो, पैसे वाला अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों और महँगे कोचिंग सेंटर में पढ़ने के लिए भेजता है। पाँच- पाँच करोड़ खर्च कर अपने बच्चों को डाक्टर- इंजीनियर बनाता है जबकि आम आदमी की इतनी हैसियत कहाँ ? वो अपना और अपने परिवार का पेट भी बड़ी मुश्किल से भर पाता हैं। बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाता है। सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं। फिर भी आम आदमी का बच्चा अच्छा पढ़- लिख भी जाये तो नौकरी के लिए उसके पास घूस देने या सिफ़ारिश कराने वाला कोई नहीं। जबकि धनी लोगो के पास ये सब कुछ हैं। वे किसी के भी ज़मीर को ख़रीद सकते है। आम आदमी बीमार पड़ जाये तो सरकारी अस्पताल के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं। जहाँ डाक्टर कभी सीट पर होते नहीं। वे या तो अपने घर पर या किसी प्राइवेट अस्पताल में अपनी सेवाये दे रहे होते हैं। आम आदमी हमेशा से पिसता रहा है पूँजीपतियों के शोषण का शिकार होता रहा हैं। और हमारी सरकार हैं जो- सर्व हिताय- के सिद्धांत पर चलने की घोषणा करती है। लेकिन करती बड़े लोगो का विकास उनकी उन्नति, उनकी समृद्धिब । और तो और आम आदमी को सड़क पर चलने को फुटपाथ भी नसीब नहीं होता। सड़क पर भी कार वालों ने कब्जा कर रखा है। आम आदमी का टमाटर- प्याज- आलू की महंगाई रोसोई के बजट को बिगाड़ देती है लेकिन अमीर आदमी को इन चीजो का कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। आज का आम आदमी निराश और परेशान हैं अपने नेताओ से- उनकी सोच और विचारधारा से— जीवन की घुटन से। फिर वो ईश्वर को याद करने लगता है और ईश्वर से कहता है क्यों उसे धरती पर आम आदमी बना कर भेजा ? वो एक आशा लिए हुए मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च में जाता हैं वहाँ वह ईश्वर दर्शन के लिए धक्के खाता है लंबी लंबी क़तारो में लगता है। भोला बाबा जैसे ईश्वर के नुमाइंदों के दर्शन के लिए आम आदमियों की भीड़ में कुचला जाता हैं। या फिर दर्शन कर वापिस लौटते हुए कार या बस में दुर्घटना का शिकार होकर मृत्युं को प्राप्त होता है। आम आदमियों के सेंकड़ो की संख्या में मरने के समाचार अखबारो में हम रोज़ाना पढ़ते हैं लेकिन किसी नेता, वीआइपी, किसी पूँजीपति के मरने के समाचार यदा- क़दा ही होते है क्योंकि उन्हें बढ़िया से बढ़िया चिकित्सा सेवाए उपलब्ध हैं। ईश्वर ने सभी लोगो को जमी पर एक सामान भेजा था लेकिन ईश्वर भी ठगा गया। अमीरों की संख्या ज़ायदा रही और आम आदमी की उससे भी कहीं अधिक ज़ायदा ? बस अब प्राण त्यागने के अलावा आम आदमी के पास और कुछ अपना नहीं। फिर भी वो उम्मीदों के सहारे जीता है कि वो सुबह कभी तो आएगी ? जब वो अम्बानी के घर पैदा होगा।

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