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बीकानेर 03 जून। वेटरनरी विश्वविद्यालय के पशु आपदा प्रबंधन तकनीक केन्द्र के द्वारा विश्वविद्यालय के सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत गोद लिए गए गांव गाढवाला में सोमवार को पशुओं में तापघात के लक्षण एवं निवारण विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। केन्द्र के मुख्य अन्वेषक प्रो. प्रवीण बिश्नोई ने बताया की गर्मियों के मौसम में उचित रखरखाव के अभाव में पशु तापघात के चपेट में आ जाते है। पशुपालकों को उचित पेयजल एवं रखरखाव की जानकारी देकर उनको तापघात से बचाया जा सकता है। शिविर में केन्द्र के विषेशज्ञ शैलेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि ग्रीष्म ऋतु में यदि पशु अपने शरीर का तापमान सामान्य बनाये रखने में विफल रहता है तो पशु तापघात की चपेट में आ जाता है। पशुओं को तापघात से बचाने के लिए शरीर के तापमान को कम करना पड़ता है इसके लिए पशु को शीतल जल से स्नान कराएं एवं शरीर में पानी एवं लवणों की कमी को पूरा करने के लिए प्रयास करने चाहिए। डॉ. सोहेल के द्वारा पशुओं में तापघात के उपचार हेतु महाविद्यालय में बनाये गये वातानुकुलित वार्ड एवं विकसित तकनीकों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की गयी। प्रशिक्षण शिविर में पशुपालकों को तापघात से पशुओं का बचाव पुस्तिका, खनिज लवण एवं कृमि नाशक दवा का वितरण भी किया गया।

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