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बीकानेर,आज इन्डियन नेशनल इस्ट फॉर आर्ट एण्ड कल्चर हैरिटेज व रोटरी क्लब सुप्रिम के संयुक्त तत्वाधान में म्यूजियम है (संग्रहालय दिवस) पर आयोजित संगोष्ठी में बोलते हुए डॉ.ॉ मोहम्मद फारूख ने कहा कि भारत में लगभग 400 संग्रहालय है जो हमारी धरोहर है। इनके माध्यम से कला व संस्कृति का संरक्षण किया जा रहा है।

श्री एम. एल. जांगिड, ने अपना व्यक्तव्य देते हुए कहा कि संग्रहालय हमारी विरासत को संरक्षित करने का अच्छा माध्यम है। संग्रहालय के संरक्षित सामग्री का अवलोकन करने हेतु शैक्षिक संस्थाओं को भ्रमण करवाना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी को हमारे इतिहास, संस्कृति, कला व साहित्य को समझेन का ज्ञान प्राप्त होगा। बीकानेर के संदर्भ में उन्होंने कहा कि प्रशासन की उदासीनता के कारण स्थानीय बीकानेर पब्लिक पार्क जो की बीकानेर की विरासत है का व्यवसायीकरण हो रहा है। इसको इसके पुरातन स्वरूप में लाना चाहिए।
श्री अमर सिंह खांगारोत ने अपने उद्बोधन में एशियाटिक सोसायटी कोलकाता में प्रथम संग्रहाल्य की विशेषता बताते हुए कहा कि संग्रहालय सांस्कृति आदान प्रदान, संस्कृति के संवर्धन और लोगों ने बीच आपसी समझ सहयोग व शांति के विकास का महत्वपूर्ण साधन है। उन्होंने कहा कि यह ज्ञान का बड़ा भण्डार है जो कि केवल हमें ज्ञान ही नहीं देता बल्की हमें हमारे देश, इतिहास संस्कृति, सभ्यता कला व वास्तु काला से परिचित करवाता है।

गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए श्री रवि पुरोहित ने कहा कि म्यूजियम केवल राजा महाराजाओं के हथियारों को प्रदर्शित करने का स्थान नहीं अपितु हमारी सांस्कृतिक धरोहर का संग्रह है। उन्हांेने कहा कि हमारी सोच, पहनाओं में जो बदलाव आ रहा उसको संरक्षण की आवश्कता है। हमें इस दिवस की महत्ता को समझकर विरासत को संजोये रखना है।
गोष्ठी का संयोजन श्री पृथ्वीराज रतनू ने किया उन्होंने कहा कि म्यूजियम वे इमारतें है जिनमें हम कलात्मक सांस्कृतिक, एतिहासिक, पारस्परिक और वैज्ञानिक रूचि की नई चीजे देख सकते हैं।
अध्यक्षता करते हुए श्री मनमोहनजी कल्याणी ने कहा कि हमें जो ज्ञान प्राप्त होता है उसमें संग्रहालयों का विशेष योगदान रहा है। वर्तमान में यह अपना मूल्य खोता जा रहा है। उन्होंने कहा कि विरासत को बचाने के लिए समय और धन की आवश्यकता होती है। गोष्ठी में हुई चर्चा को अमल में लाना चाहिए।

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