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बीकानेर,पत्रकारिता लोकतंत्र का कहने को चौथा स्तंभ रह गया है। पत्रकारिता की साख तार तार हो रही है। इसके जिम्मेदार पत्रकार खुद और पत्रकारिता संस्थान है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की स्वतंत्रता छीनती जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस पर पत्रकारिता खुद को स्वच्छ आईने में जांचने की जरूरत है। क्या चौथे स्तंभ के जिम्मेदार लोगों में आईने के सामने आज के दिन खड़े होने का साहस है? देखो तो सही कितने दाग लग गए हैं। अन्यथा तो अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस का कोई अर्थ भी रह जाएगा ? पत्रकारिता के प्रतिमान धुंधले पड़ गए है। पत्रकार अपनी प्रतिष्ठा और स्वाभिमान खो रहे है। यह लोकतंत्र, व्यवस्था और समाज के लिए बहुत ही दुखदाई होने वाला। जनता की आवाज, अन्याय और मनमानी के विरुद्ध खड़े होने का किसी में माद्दा है तो वो पत्रकार ही हो सकता है। पत्रकार बिक गया तो समझ लो अनर्थ होने ही वाला है। पत्रकारिता के मूल्य, धर्म और उद्देश्यों की रक्षा पत्रकार ही कर सकते हैं। जो पत्रकारिता राजनीति पर निर्भीकता से सवाल उठाती है। भ्रष्टाचार को कठघरे में खड़ा करती है। उस पत्रकारिता और पत्रकारों पर लोग सवाल उठाने लगे हैं। खुद पत्रकार ही अपना आत्म सम्मान खोने लगे हैं। आजादी के समय से भारतीय मूल्यपरक पत्रकारिता की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान रही है। वर्तमान में बदली हालात के चलते पत्रकार अपना धर्म कितना निभा पा रहे हैं ? उस पर खुद पत्रकारों के बीच ही बहस शुरू हुई है। यह बहस इस बात का संकेत है कि पत्रकारों को अपने दायित्वों और जिम्मेदारियों का कम से कम भान तो है। बीकानेर में पिछले वर्ष इस मुद्दे पर वाट्सअप पर पत्रकारों के संवाद से विषय की चिंता को समझा जा सकता है। इसे आज के दिन आईने में देखा जाना चाहिए … पिछले वर्ष बीकानेर सर्किट हाउस में कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र सिंह राजपूत की प्रेस कान्फ्रेस के बाद कुछ पत्रकारों ने अनौपचारिक बातचीत में उक्त मुद्दे पर गंभीरता से बात की। अर्जुन राम मेघवाल की प्रेस कान्फ्रेस के दौरान पत्रकारों के बीच आपसी व्यवहार का मुद्दा भी उठा। वर्तमान में कुछेक पत्रकारों की कार्य प्रणाली और भूमिका पर भी चर्चा हुई। यह शुभ संकेत ही माना जाए। गत वर्ष पत्रकारों के व्हाट्सप ग्रुप में संवाद से भी यही चिंता जाहिर हुई। इस व्हाट्सप ग्रुप संवाद की मूल प्रस्तुति इस प्रकार है: पत्रकारों की गरिमा गिरी है उसमें हम सब दोषी है एक दूसरे को नीचा दिखाने के चक्कर में हम अपनी गरिमा खो रहे है एक दो लोगों के कारण पत्रकारों की साख को पूरी तरह से बट्टा लग गया है आप स्वयं समझदार हो भाईयों।
[13/09, 1:40 pm] अनुराग जी हम चाहते हैं कि आप हम सभी लोग सभी को लेकर एक जाजम में बैठाकर वापस एकता का प्रयास करे कि हमें भी गर्व होगा आप सब लोगों को एक साथ रहेंगे लोगो के सामने हंसी का पात्र नहीं बने गरिमा बनाए रखने में सहायक हो सके।
[13/09, 1:40 pm। भाईयों हमें यह सोचना चाहिए कि बैनर आज है कल नहीं परंतु भाईचारे की भावना रखकर काम करेंगे तो हमें कोई अलग नहीं कर सकता है। यह गैंग बनाने वाली परम्परा छोडऩी होगी। कुछ को इतना वहम हो गया कि वो मानते है कि अगर वो एक दिन फिल्ड में नहीं जायेंगा तो कुछ का चुल्हा नहीं जलेंगा ये वहम नहीं रखना चाहिए भाई सीट को सलाम है आज है कल नहीं।
[13/09, 1:40 pm] मैंने कई तोपों व तोपचियों को नेस्तनाबूद होते देखा है। हर बड़े व छोटे बैनरों से जुड़कर काम किया है। मेरी सलाह है किसी को वहम नही पालना चाहिए।
[13/09, 1:40 pm] सीनियर का सम्मान होना चाहिए मै आपकी बता पर सहमत हू
[13/09, 1:40 pm] हम किसके पीछे झगड़ रहे है ये सोचो आज अगर आपके और मेरे साथ कोई घटना घट जाये तो हमें अपने स्तर पर ही समेटना पड़ता है क्योकि मालिक कहता है मुझे कुछ लेन देन नहीं है तो फिर क्यों झगड़े।
[13/09, 1:40 pm] हम आप के साथ है भवानी जी आप कचरा साफ करे और हिसाब ले और आगे बढ़े।
[13/09, 1:40 pm] रचनात्मक काम होना चाहिए ताकि पत्रकार स्वयं डवलप हो। ज्ञान से भी, व्यवहार से भी।
[13/09, 1:40 pm] सब झगड़े यहीं रह जाएंगे। आपके काम ही आपको याद रखने का कारण होगा।
[13/09, 1:40 pm] अनुराग जी भवानी जी, बिस्सा जी आप सबसे पहले तो पत्रकारों को अनुशासन सिखाओं और उनके लिए कोई सेमीनार रखों जिससे हम लोगों को कुछ सीखने को मिले हमें आता कुछ नही और बराबरी हर किसी की करने लगते है।
[13/09, 1:40 pm] 100 बात की एक बात भवानी जी या अनुराग जी या वरिष्ठ पत्रकार जो भी हो हम सब मिलकर पत्रकारों का सम्मान करें और आने वाले खतरे को साफ करें जब भी आपकी इज्जत होगी और प्रशासन आपको समझेगा नहीं तो हम रोज लड़ते रहेंगे
[13/09, 1:40 pm] आज अगर हम अपने सीनियरों का मान सम्मान करेंगे तो हमारे बाद आने वाले हमारा करेंगे हम तो सीनियरों का मान सम्मान करते नहीं और आने वाले से हम उम्मीद करें ये गलत बात है। सीनियर सीनियर ही रहेंगे हमें उनके सान्निय में रहकर आगे बढ़ेंगे।
[13/09, 1:40 pm] एक दो जनो के पीछे प्रैस क्लब बदनाम हो रहा है
[13/09, 1:40 pm] जब तक हम एक दूसरे का मान सम्मान नहीं करेंगे तो आने वाली पत्रकार पीढी हमें माफ नहीं करेगी
[13/09, 1:40 pm] लेकिन एक बात ओर है अगर हम सीनियरों का मान सम्मान करते है तो वो भी हम सब को छोटे भाईयों की तरह समझाये हम आप लोगों की हर बात मानने को तैयार है लेकिन आजकल देखा जाता है अगर कोई पत्रकार प्रेसवार्ता में पहले पहुंच जाता है और आगे बैठ जाता है तो बाद आने वाले पीछे बैठकर ताने मारते है यह गलत है क्या हो गया अगर वो आगे बैठ गये तो कुछ सीखेंगा लेकिन किसी पर टिका टिप्पणी करना बंद कर देवे अन्यथा मान सम्मान खुले मैदान में ही होगा।
[13/09, 1:40 pm] भाई बैठने के लिए मना किसी ने नहीं किया पर जो सीनियर है उसको आज की डेट में जगह देखनी पड़ती है और जो नए हैं जिनका कोई अता पता नहीं वह अपना चेहरा दिखा कर मुख्य धारा में आना चाहते हैं
[13/09, 1:40 pm] : बदनाम नही हो रहा भाई तार तार हो रहा है वो एक दो नही अनेक है ऐसे लोग
[13/09, 1:40 pm] इस ग्रुप में कई ऐसे लोग भी हैं जो पत्रकार नही है
उनके रहते इस ग्रुप में पत्रकारों की इस तरह की अंदरूनी बातें, अंदर की पीड़ाएं जाहिर करना क्या सही है
आपसी खींचतान ओपन करना शायद सही नही है
[13/09, 1:40 pm] हम आज भी सीनियरों के लिए हमेशा कुर्सी छोड़ते है इसका मतलब यह नहीं कि हम डर कर कुर्सी छोड़ रहे हम मान सम्मान करते छोड़ते है लेकिन वो हमारी कमजोरी समझ लेते है और कुछ पत्रकार भाई तो बड़े भद्दी टिप्पणी करते है भाईयों आप भी ध्यान रखें
[13/09, 1:40 pm] सही बोला एक दम भाई
[13/09, 1:40 pm] मेरा मनीष जी पारीक भाई से अनुरोध है कि जो व्यक्ति पत्रकार नहीं है उनको एक दो दिन में इस गु्रप में हटा देवे क्योकि यह गु्रप बहुत ही शानदार है सभी पत्रकार भाई इसमें शामिल है इसलिए इस मंच पर हम खुलकर बात करते है इसलिए आपसे निवेदन है एक दो दिन में उनको गु्रप से हटा दो।
[13/09, 1:40 pm] : अरे भाई आप तो समझदार हो पर वो लोग नही जो कुछ गलत बोलते है जी
[13/09, 1:40 pm] आईना मुझको मेरी पहली सी सूरत मांगे आज ऐसा हाल हो गया हम सब के साथ जो समझे वो खिलाड़ी जो ना समझे वो अनाड़ी है जी
[13/09, 1:40 pm] कल मनीष से बात करके जो फर्जी या गंदगी है उसको हटा देंगे यह ऑफीशियली ग्रुप मनीष भाई का है उसको समझा देंगे
[13/09, 1:40 pm] मनीष जी को कहो सब मेम्बर से उनका परिचय जान लेवे
तस्वीर क्लियर हो जाएगी
[13/09, 1:40 pm] : ये फर्जी है
ये ब्लैक मेलिया है
वो अब पत्रकार नही है
वो खाली विज्ञापन में है
वो कॉपी पेस्ट करता है
वो हफ्ता लेता है
ये खाली फाइंनेसर है
उसके पास फर्जी कार्ड है

ये आरोप सुन कर अगर ग्रुप से हटाना शुरू किया तो बहुत से हट जाएंगे।

अगर उनको हटाना ही है तो ग्रुप से नहीं इनको पत्रकारों के संगठनों से हटाए।

Wahtup ग्रुप में हटाने से क्या होगा।
[13/09, 1:40 pm]: एक दम 100 टका सही बोला भाई सब संगठन के अध्यक्ष जी हिम्मत करो अब हटाने की जब ही जीत होगी अब तो
[13/09, 1:40 pm] सामने कोई पूंजीपति हो, साथी कोई नवोदित पत्रकार हो तो सहयोग, एकता सब धरी रह जाती है, बहानों की बौछार होती है।
[13/09, 1:40 pm] सही है लेकिन किसी नवोदित पत्रकार को धौंसपट्‌टी दिखाने की शिक्षा कैसे दी जाए?
[13/09, 1:40 pm] : पत्रकार को पत्रकारिता शिद्दत से करनी चाहिए, धौंस की जरूरत ही क्या है?
[13/09, 1:40 pm] : बिल्कुल सही कहा आपने। पत्रकार में दम है तो किसी अन्य पत्रकार के आगे गिड़गिड़ाने की जरूरत भी नहीं होती।
[13/09, 1:40 pm] खबर में इतना दम होना चाहिए।
[13/09, 1:40 pm] इसीलिए गिड़गिड़ाया नहीं जाता। मगर कभी कभी बात समुदाय के आत्मसम्मान की भी होती है। जो खो दिया गया। जिम्मेदार नवोदित तो नहीं था। वरद् हस्त ही डगमगा गए थे।
[13/09, 1:40 pm] : दम तो एक करोड़ के दावे जितना था, इससे ज्यादा क्या दम होगा😂
[13/09, 1:40 pm] : हर काम में समस्या है। हर पेशे की अपनी परेशानी है। हमारे काम में भी कई दिक्कत है। उसे हमें ही निपटना होगा। शुद्ध पत्रकारिता करेंगे तो किसी के आगे झुकने की जरूरत नहीं है। हां, खबर में गलती रह जाती है तो सुधारा जा सकता है।
[13/09, 1:40 pm] ना झुके हैं, ना झुकेंगे, सुधार का रास्ता हमेशा खुला रहेगा।
बस उस दिन पत्रकार समुदाय का पानी सामने आ गया था। मैंने तो अकेले ही वो कर दिया जो सामने आने पर आपको गर्व होगा।
मगर किसी पूंजीपति के ये शब्द भी मैंने सुने कि पत्रकार पैसे के भार से दब जाते हैं।
[13/09, 1:40 pm] आपका मुझ पर जो विश्वास है इसे बढ़ाने की जिम्मेदारी निभाने की पूरी कोशिश करूंगा। पत्रकारों की पीढ़ी का मैं छोटा सा पौधा हूं, वादा है हमेशा पीढ़ी का मान बढ़ाने की कोशिश करूंगा। हो सकता है कुछ संवाद का हिस्सा छूट गया हो। व्हाट्सप पर बीकानेर में पत्रकारों के बीच यह संवाद इस बात का प्रमाण है कि पत्रकारिता और पत्रकारों के इज्जत की हर किसी पत्रकार को चिंता है। बस सकारात्मक दिशा देने की जरूरत है। फिर से बीकानेर में खोए हुए पत्रकारिता के प्रतिमान लोटाए जा सकते हैं। जिनकी जिम्मेदारी है उनको आगे आने की जरूरत है। जो पत्रकारिता करना चाहते उनको आगे बढ़ाए। जो पत्रकारिता के नाम पर अपने हित साधना चाहते उनको बाहर का रास्ता दिखाएं। बस हो जाएगा सुधार।

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