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बीकानेर,जिले के ग्रामीण अंचलों में खेतों में बनी डिग्गिया अब मौत का सबब बन गई है। इस मामले में पिछले तीन सालों का रिकॉर्ड देखने पर पता चला कि इन तीन सालों में डेढ सौ से ज्यादा लोग डिग्गियों में डूबकर मौत का शिकार हो गये। इनमें बच्चे,युवतियां और युवा काश्तकारों की तादाद ज्यादा है। इनमें ज्यादात्तर मौते लापरवाही के कारण हो रही है। वजह यह कि खेतों में बनी 80 फीसदी पानी की डिग्गियों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। चिंता की बात यह है कि डिग्गियों में सर्वाधिक हादसे गर्मी के दिनों में होते हैं। गर्मी के दिनों में रेवड़ चराने वाले, श्रमिक, खेतों में काम करने के दौरान काश्तकार के परिवार के लोग पानी पीने एवं नहाने के लिए इन डिग्गियों में उतरते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं। इनमें कई घटनाएं खुदकुशी की भी शामिल है।

यह हैं नियम
खेत में बनाई जाने वाली पानी की डिग्गी का तलघर पक्का हो।
डिग्गी के चारों तरफ पांच फीट तक तारबंदी हो।
डिग्गी में उतरने के लिए सीढिय़ां हों और एक जंजीर बंधी हो।
डिग्गी पर छोटे बच्चों व पशुओं के आवागमन पर रोक हो।
डिग्गी के पास रात के समय रोशनी की व्यवस्था हो।

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