बीकानेर,स्कूल बसों में सफर करने वाले नन्हें बच्चों का सफर अब अधिक सुरक्षित होगा। बसों में सफर करने वाले बच्चों और बस में होने वाली सभी गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी। इसके लिए बस के आगे-पीछे और अंदर कैमरे लगाने अनिवार्य होंगे। इन कैमरों की लाइव रिकॉर्डिंग स्कूल प्रबंधन देख सकेंगे। स्कूल संचालक को कम से कम एक महीने की रिकॉर्डिंग का डाटा रखना होगा। हादसा होने या किसी घटना की स्थिति में पुलिस को डाटा उपलब्ध करना होगा। इसके अलावा स्कूल में बच्चों के बस से उतरने चढऩे वाली जगह पर भी कैमरे लगाने होंगे। स्कूल संचालक की गाड़ी नहीं होने पर भी वाहन की जिम्मेदारी संचालक की रहेगी। ड्राइवर के खिलाफ बच्चों से दुर्व्यवहार या छेड़छाड़ की शिकायत होने पर हटाया जाएगा। सुरक्षा की लिहाज से स्कूली ऑटो में एक तरफ का गेट खुलेगा। ऑटो में अन्य तरफ जाली युक्त ग्रिल लगाना अनिवार्य होगा। घरेलू गैस सिलेंडर लगी वैन-ऑटो पर अब कार्रवाई नहीं जब्त किया जाएगा। अधिकृत गैस किट लगी गाडिय़ा ही संचालित हो सकेंगी। दरअसल,परिवहन विभाग सात साल बाद नियमों में बदलाव करने जा रहा है। ये नियम लागू होने पर स्कूल संचालक परिवहन व्यवस्था ठेके पर देने के बाद भी बच नहीं सकेंगे। नए नियमों में स्कूल बस संचालकों और पैरेंट्स दोनों की ही जिम्मेदारियां तय की गई हैं। दिशा निर्देश सडक़ सुरक्षा प्रकोष्ठ की ओर से तैयार किए जा रहे हैं। इन्हें फाइनल मंजूरी डिपार्टमेंटल कमेटी और अतिरिक्त मुख्य सचिव, परिवहन की ओर से दी जाएगी। अफसरों के मुताबिक नए शैक्षणिक सत्र से लागू कर दिया जाएगा।
*बस पर यह लिखवाना होगा
बस के अंदर ड्राइवर का नाम, पता, लाइसेंस नंबर, वाहन मालिक की डिटेल्स, चाइल्ड हैल्पलाइन, ट्रैफिक पुलिस और ट्रांसपोर्ट हैल्प लाइन के नंबर लिखने अनिवार्य होंगे। ऑटो मालिक ड्राइवर सीट पर स्कूली बच्चों को नहीं बैठा सकेगा। बस, वैन ड्राइवर को इसी श्रेणी के वाहन चलाने का 5 वर्ष का अनुभव होना जरूरी है। स्कूली वाहन में अनिवार्य रूप से फ़र्स्ट एड बॉक्स, अग्निशमन यंत्र होंगे। वाहनों में जीपीएस अनिवार्य होगा। वाहन की फिटनेस, बीमा, ड्राइविंग लाइसेंस अपडेटेड रखने होंगे। चालकों की स्वास्थ्य जांच।