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बीकानेर,देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में जब भारत को स्थायी सदस्य बनाने का प्रस्ताव आया तो नेहरु भारत के बजाय चीन का पक्ष ले रहे थे। बीकानेर में मीडिया से बातचीत में एस जयशंकर ने कहा कि वो ये बात अपने स्तर पर नहीं बल्कि स्वयं पंडित नेहरु के पत्र के आधार पर कह रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि बदले हुए भारत को देखना है तो 26/11 के बाद की प्रतिक्रिया और बालाकोट के बाद के एक्शन को देखना चाहिए।

यहां रानी बाजार स्थित जिला उद्योग संघ के हॉल में जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि इस मुद्दे पर मैंने सिर्फ कहा नहीं, बल्कि लिखा भी है। मैं अपने स्तर पर नहीं कह रहा हूं। रिकार्ड के आधार पर ये बात कह रहा हूं। एक समय जब भारत को स्थायी सदस्य बनाने का प्रस्ताव था। पंडित नेहरु मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखते थे। ऐसे ही एक पत्र में उन्होंने लिखा कि ये अन्याय है कि चीन को बनना चाहिए। पहले चीन बना है। इसके बाद हम भारत के बारे में विचार करेंगे।

मैं इस पर आश्चर्य जता रहा हूं कि अगर मैं उस समय प्रधानमंत्री होता या मंत्री होता तो मैं भारत का हित सामने रखता। मेरे लिए भारत के हित से बड़ा किसी अन्य देश का हित नहीं हो सकता। अभी मुझे लगता है कि दुनिया में भारत सुरक्षा परिषद् का सदस्य बनने का हकदार है। हमारी प्रतिष्ठा, हमारी ताकत दुनिया पहचानती है। अब यूएन में ये माहौल बन रहा है कि इसकी सदस्य संख्या बढ़नी चाहिए। ये कैसे होगा? इस पर अभी मंथन चल रहा है।

विदेश मंत्री ने कहा कि तब और अब के भारत को समझना है तो मुम्बई हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया और बालाकोट हमले के बाद भारत के एक्शन से समझना चाहिए। किस तरह बालाकोट हमले के बाद भारत ने एक्शन लिया। दरअसल, पहले मोदी नहीं थे और अब मोदी है। जयशंकर ने कहा कि मैं पहले भी विदेश मंत्रालय में अधिकारी के तौर पर काम कर चुका हूं और अब मंत्री के रूप में काम कर रहा हूं। दोनों में ये बड़ा अंतर नजर आता है।

कैलाश मानसरोवर की यात्रा फिर से शुरू करने के मुद्दे पर विदेश मंत्री सीधे-सीधे अपनी बात नहीं कह सके। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 के बाद से ये यात्रा बंद है और हम बातचीत कर रहे हैं। हम जानते हैं कि भारत में बड़ी संख्या में लोग चाहते हैं कि मानसरोवर यात्रा शुरू हो। इसके लिए कोई टाइम फ्रेम नहीं बन सकता क्योंकि इसमें चीन को भी निर्णय में शामिल होना है। ये काम हमारी प्राथमिकता में है।

भारत के चुनाव पर कई देशों ने निष्पक्षता की उम्मीद जताई है। इसके कारण पर हुए सवाल पर जयशंकर ने कहा कि भारत में निष्पक्ष चुनाव होते हैं। अगर किसी अन्य देश में निष्पक्ष चुनाव नहीं हो रहे हैं तो ये उनकी चिंता है। किसी अन्य देश को भारत की चिंता करने की जरूरत नहीं है।

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