बीकानेर,राजस्थान दिवस के उपलक्ष्य में ”राजस्थान के एकीकरण में जन चेतना के स्वर” विषय पर व्याख्यान कार्यक्रम राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर के प्रांगण में रखा गया। अभिलेखागार के पूर्व उप निदेशक डॉ गिरिजा शंकर शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डा राजशेखर पुरोहित थे। वहीं अभिलेखागार के निदेशक डॉ नितिन गोयल व सहायक निदेशक डॉ हरिमोहन मीना मंचाशीन थे। डॉ. नितिन गोयल ने स्वागत उद्बोधन देते हुए विषय प्रवर्तन किया। इस दौरान डॉ राजशेखर पुरोहित ने अपने वक्तव्य में राजस्थान के एकीकरण के सातों चरणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने राजस्थान के एकीकरण में महाराजा सादुल सिंह बीकानेर से लेकर सरदार वल्लभ भाई पटेल सहित अन्य के योगदान के बारे में बताया।
डॉ पुरोहित ने बताया कि बीकानेर पहली रियासत थी जिसने राजस्थान के एकीकरण की संधि पर सबसे पहले हस्ताक्षर किये थे। इस एकीकरण की प्रक्रिया में दाउ दयाल जी आचार्य, शुमुदयाल सक्सेना सहित बीकानेर के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों का योगदान रहा। डॉ. पुरोहित ने श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दिये, तो राजस्थानी भाषा की मान्यता की बात भी मुखुर हुई।
इस दौरान कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. गिरिजाशंकर शर्मा ने राजस्थान के एकीकरण पर बात करते हुए राजस्थानी व मारवाड़ी के अंतर को भी स्पष्ट किया। उन्होंने अभिलेखागार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को उपयोगी बताते हुए आगे भी इसी प्रकार के कार्यक्रमों को आयाजित करने की प्रेरणा दी।
डॉ. हरिमोहन मीना, सहायक निदेशक ने पधारे हुए सभी श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डॉ सुखाराम, डॉ राजेन्द्र, प्रो अजय जोशी, राजाराम स्वर्णकार, नमामी शंकर आचार्य, रोशन बाफना, डॉ दलीप कुमार वर्मा आदि उपस्थित रहे। संचालन डॉ मनीष मोदी ने किया।