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बीकानेर,पश्चिमी राजस्थान और खास तौर से बीकानेर में सौर ऊर्जा प्लांट लगने से देश और प्रदेश विद्युत उत्पादन में आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहा है। इससे पश्चिमी राजस्थान सौर ऊर्जा हब बन रहा है। इस विकास के साथ खेजड़ी, वन्य जीव जंतु और पक्षियों का संरक्षण करके पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखना चुनौती है। इस मुद्दे पर विश्नोई धर्मशाला में पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण की दिशा में काम करने वाली विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों की सभा आयोजित की गई। इस सभा में संस्था प्रमुखों ने एक स्वर में कहा सौर ऊर्जा प्लांट लगाने में पर्यावरण प्रेमियों को कोई आपत्ति नहीं है, परंतु जहां सौर ऊर्जा प्लांट लगे वहां राज्य वृक्ष खेजड़ी की कटाई नहीं हो। नुरसर प्रोजेक्ट के पैटर्न पर खेजड़ी के पेड़ को छोड़कर प्लेटे लगाई जाए। जरूरत पड़े तो खेजड़ी की छंगाई कर लें पर राज्य वृक्ष खेजड़ी की कटाई किसी भी हालत में प्रतिबंधित की जाए। कानूनी रूप से खेजड़ी की कटाई पर प्रतिबंध है। सभा में सात प्रस्ताव पारित किए गए। इन प्रस्तावों की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करने जिला कलक्टर के नाम ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में कहा गया कि खेजड़ी की जियो टेंगिंग की जाए। गिरदावरी रिपोर्ट में खेजड़ी को रिकार्ड में लिया जाए। सौर ऊर्जा प्लांट लगने के बाद भू उपयोग परिर्वतन कर ऐसी जमीनों को व्यवसायिक श्रेणी में रखा जाए। प्रोजेक्ट में तय 30 प्रतिशत भूमि को ग्रीन बेल्ट बनाया जाए। खेजड़ी काटने के दर्ज मामलों में दोषी के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई करें। नहरों पर तथा खनन हो चुकी भूमि पर सौर ऊर्जा प्लांट लगे। वनस्पति, वन्य जीव जंतु और पक्षियों के संरक्षण संवर्धन के अनुरूप प्राकृतिक वातावरण रखा जाए। सौर ऊर्जा प्लांट के बीच वन भूमि छोडी जाए। कलक्टर की अनुपस्थिति में अतिरिक्त कलक्टर प्रशासन को ज्ञापन दिया गया। उन्हें पूरे हालत और संगठनो के प्रतिनिधियों की मंशा से अवगत करवाया गया। अधिकारी ने पूरी जिम्मेदारी की भावना से शिष्टमंडल को सुना और कलक्टर तक भावना पहुंचाने का आश्वासन दिया। सभा में राम किशन डेलू, विजय कोचर, मिलन गहलोत, यादव, निर्मल बरडिया, राम चंद्र धारणिया, राम गोपाल,एडवोकेट बी आर माली, मोख राम धारणिया समेत विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी शामिल हुए।

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