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बीकानेर,जोधपुर,केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि 5-10 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का रास्ता जल समृद्धि और जल सुरक्षा से होकर जाता है। जब तक जल समृद्धि नहीं होगी, तब तक इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएंगे।

भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान ग्राउंड, ठेंगडी नगर, चौखा में मंगलवार को शुष्क क्षेत्र में भूजल प्रबंधन के हेलीबोर्न सर्वेक्षण के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री शेखावत ने जल से जुड़े विषयों पर खुलकर बात रखी। उन्होंने कहा कि हम वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर और 2030 तक 10 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का लक्ष्यय लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अगुवाई में आगे बढ़ रहे हैं। मैं जिम्मेनदारी से कह सकता हूं कि जिस रास्ते पर और जितनी तेजी से हम चल रहे हैं, उसके हिसाब से यह आंकड़े बहुत छोटे हो गए हैं, लेकिन उसका रास्ता जल समृद्धि और जल सुरक्षा से होकर जाता है।

हेलीबोर्न सर्वे का जिक्र करते हुए शेखावत ने कहा कि हेलीकॉप्टॉर के नीचे कैमरे लगे हैं। यह हेलीकॉप्ट जब एक बार जब उड़ान भरेगा तो 10-15 किलोमीटर तक 500 मीटर नीचे तक क्या स्थिति है, उसका सर्वे एक बार में हो जाएगा। जमीन के ऊपर की कंप्लीट मैपिंग हो जाएगी। कहां पानी भरण हो सकता है, कहां किस तरह का स्ट्रमक्चर बनाने की जरूरत है।

शेखावत ने कहा कि हमने जो टाइमलाइन तय की है, उससे पहले काम पूरा करने के निर्देश संबंधित अधिकारी और एजेंसी को दिए हैं। अगले एक साल में राजस्थान और गुजरात का सर्वे पूरा हो जाए, ताकि अगले साल जब हम अलग-अलग जगह तय पैसा खर्च करें तो इस तकनीक से मिलेंगे, उस हिसाब से हम सार्थक काम कर पाएं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम सिर्फ धन खर्च करने के लिए काम नहीं करें, हम इम्पैक्ट लाने के लिए काम करें। समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को कितना फायदा हुआ, इसका आकलन करने के लिए इस तरह की तकनीक की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मोदी जी का नेतृत्व हमें परंपराओं को तोड़ना और परंपराओं का पालन करना, दोनों सिखाता है।

शेखावत ने बताया कि जब जल स्वालंबन अभियान किया था, तब हेलीबोर्न सर्वे देश में शुरू नहीं हुआ था। उस समय ड्रोन से अध्ययन किया था। तब लूनी क्रिटिकल जोन से निकलकर सेफ जोन में आया और टैक्सटाइल इंडस्ट्री चलाने की अनुमति मिली। उन्होंने कहा कि जब देश तरक्की करता है तो पानी और ऊर्जा की जरूरतें भी बढ़ती हैं। आज का कार्यक्रम पानी के इतिहास में स्वर्णाक्षर में लिखा जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारा कुल कृषि क्षेत्र बढ़ा है, जो 85 फीसदी भूजल पर निर्भर है। दुनिया भर में जितना भूजल निकाला जाता है, उसका 25 फीसदी हम निकालते हैं। इसकी वजह से पानी का स्तर सिकुड़ता जा रहा है। पानी नीचे जा रहा है, लेकिन जलशक्ति मंत्रालय जल के पुर्नभरण के लिए निरंतर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने जब जलशक्ति मंत्रालय का कार्यभार संभाला, तब भूजल बोर्ड को कहा कि अभी तक हमने यह खोजा कि जमीन में पानी कितना नीचे गया है, अब हमारा प्राथमिक उद्देश्य यह होना चाहिए कि जमीन के अंदर पानी वापस कैसे डाल सकते हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम सबकी जिम्मेदारी है कि जल संरक्षण और जल समृद्धि के काम को जमीनी स्तर तक पहुंचाएं। आजादी के 75वें साल के अमृत महोत्सव में देश को तय किए गए लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए हर क्षण काम करेंगे। कार्यक्रम में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह भी उपस्थित रहे।

*राजस्थान में संकट और गहरा*
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राजस्थान में संकट और गहरा है। यहां आबादी देश की 6 फीसदी है, लेकिन पानी सिर्फ एक फीसदी है। हमारे पूर्वजों ने पानी का कुशल उपयोग, वर्षाजल का इस्तेमाल और संचयन सिखाया है। यहां के हर घर की छत वॉटर रिचार्ज सिस्टम से जुड़ी हैं। पहले यही पानी पीने तक इस्तेमाल होता था। मुझे उम्मीद थी कि राजस्थान सरकार के मंत्री कल्ला जी आएंगे तो जल जीवन मिशन की बात भी रखूंगा।

*जोधपुर में कहानी उल्टी*
शेखावत ने कहा कि जोधपुर में कहानी बिल्कुल उल्टी है। हम सब जगह ग्राउंड वॉटर रिचार्ज की बात करते हैं। यहां 100 ट्यूबवेल 24 घंटे पानी जमीन में डालते हैं, जिसकी वजह से बेसमेंट में पानी आ जाता है।

*पानी का कोई भी फार्म वेस्ट नहीं*
शेखावत ने कहा कि पानी का कोई भी फार्म वेस्ट नहीं है। हमें इस शब्द को ही पानी के मामले में निकाल सकते हैं। शौचालय का पानी भी वेस्ट नहीं है। अभी मिलिंडा ने नई तकनीकी से उसे पीने योग्य बनाया है। उन्होंने कहा कि देश में जिस तरह का काम पानी को लेकर हो रहा है, वो जल समृद्धि की ओर हमें ले जाएगा। हमें इसे जन आंदोलन बनाना होगा। पानी जहां भी बचा सकते हैं, बचाएं।

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