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बीकानेर,केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम ने डॉ. भीमराव अंबेडकर ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम का शिलान्यास करके समाज के युवाओं के शैक्षणिक विकास की नींव रखी है। यह भी बहुत सराहनीय कदम है। इसमें महापौर के विशेष प्रयास भी शामिल है। महापौर के प्रयासों से युवा पीढ़ी के हितार्थ डॉ. भीमराव अंबेडकर ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम की भूमि निशुल्क मिली है। यह 50 करोड़ की साढ़े तीन बीघा जमीन, भावी पीढ़ी के भविष्य निर्माण में पवित्र स्थल के रूप काम आएगी। इस स्थल पर सीएसआर और सांसद निधि से 15 करोड़ से अधिक राशि की लागत से भवन निर्माण होना है। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से कुछ घंटे पहले ही डॉ. भीमराव अंबेडकर ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम की नींव रखी है।

मंत्री और महापौर ने क्या सोचकर एक जगह 50 करोड़ की तीन बीघा जमीन दी। इसके बजाय सभी समाज को अलग अलग जगह ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम की जगह मिलती तो युवा पीढ़ी को ज्यादा फायदा मिलता। साथ ही सांसद की सर्व समाज के प्रति समभाव की दृष्टि की भी सराहना होती। खैर सांसद इस ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम को मॉडल रूप में विकसित करें और जगह जगह अपने संसदीय क्षेत्र में ऐसे ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम बनाए तो सर्व समाज के युवाओं को लाभ मिल सकेगा।
अब सवाल उठता है कि 5 साल की अवधि में मंत्री ने चुनाव आचार संहिता लगने के कुछ घंटों पूर्व ही यह शिलान्यास क्यों किया? इसके पीछे का उद्देश्य कोई इतर तो नहीं है? अगर नहीं है तो डॉ. भीमराव अंबेडकर ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम की तर्ज पर अन्य पिछड़ी जाति महात्मा ज्योति बा फूले ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम, रवि दास ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम, खेतेश्वर ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम, जम्भेश्वर ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम, वीर तेजा जी ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम, विश्व कर्मा ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम, गौतम ऋषि ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम , आचार्य तुलसी ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम के लिए सांसद और महापौर जमीन देते तो इन समाज के युवाओं को भी लाभ मिलता।

वैसे केंद्रीय मंत्री का यह विजन सराहनीय है। उन्होंने यह ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम बाबा साहेब के ‘पे बैक टू सोसाइटी’ ध्येय वाक्य की दिशा में बढ़ा कदम माना है, जो भावी पीढ़ी के लिए बेहद लाभदायक करार दिया है। जैसा कि अर्जुन राम ने बताया अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न इस लाइब्रेरी में 500 युवा एक साथ बैठकर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकेंगे। वहीं यहां 500 बैठक क्षमता का ऑडिटोरियम भी बनाया जाएगा। भविष्य में 500 की अतिरिक्त बैठक क्षमता वृद्धि की संभावना भी रहेगी। शहर में जगह जगह पर और भी ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम इसी तर्ज पर बनाने की पहल की जानी चाहिए।
इसी पैटर्न पर ई-लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम के संचालन के लिए नगर निगम, सीएसआर प्रतिनिधियों तथा संचालक मंडल के मध्य त्रि पार्टी एग्रीमेंट हो। यह काम वे अगले कार्यकाल में कई जगहों पर कर दें तो नवाचार होगा।

महापौर को नगर निगम क्षेत्र के बाकी हिस्सों में इसी तरह निगम की बैठक करके लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम के लिए नि शुल्क जमीन आरक्षित करनी चाहिए। शायद 50 करोड़ रूप की जमीन देने के लिए निगम को राज्य सरकार से अनुमति का प्रावधान होगा! जन हित के कामों में राज्य सरकार से अनुमति भी लेनी पड़े तो लेनी ही चाहिए। अगर नगर निगम का उद्देश्य युवाओं के लिए अध्ययन योग्य वातावरण मुहैया करवाना है तो अच्छा प्रयास है। सांसद और महापौर ने अन्य क्षेत्रों में भी अधिक से अधिक ई-लाइब्रेरी तैयार करने तथा शहरी क्षेत्र में परंपरागत रूप से संचालित किए जा रहे वाचनालयों को ई-लाइब्रेरी के रूप में विकसित करने की संभावनाओं की भी बात कही है। यह शकुन देने वाला विचार है। 2024 में ही चुनाव के बाद इसे अमली जामा पहनाया जाना चाहिए तभी ई-लाइब्रेरी बीकानेर के विकास में एक नए आयाम के रूप में देखी जाएगी। अन्यथा तो आचार संहिता लगने से कुछ घंटे पहले किया यह काम वोटों की राजनीति ही माना जाएगा।

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