बीकानेर संसदीय क्षेत्र में विकास के नाम पर अर्जुन राम मेघवाल की उपलब्धि क्या है ? यह सवाल जनता का भी है। राजनीतिक दलों और उनके विरोधियों का भी। सवाल वाजिब है। लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि से सवाल पूछना लोकतंत्र का हिस्सा है। जन प्रतिनिधि की जनता के प्रति जवाबदेही भी है। सवाल है उनके सांसद रहते 15 वर्षों में रेल फाटक वैसे के वैसे ही मुंह चिड़ा रहे हैं। रेलवे बाईपास के लिए मेघवाल ने डा. बी. डी .कल्ला को रेल मंत्री से मीटिंग करवाई थी क्या हुआ? सवाल का कोई जवाब है। तीन बार के सांसद और भारत सरकार में मंत्री रहे अर्जुन राम मेघवाल अपने कार्यकाल की उपलब्धियां बताएं। यह सवाल उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के प्रत्याशी गोविंद मेघवाल ने किया है। अर्जुन राम को इसका जवाब देना चाहिए। उपलब्धियों की बुकलेट जनता को समर्पित कर देना चाहिए अन्यथा तो गोविंद राम का यह सवाल मतदाताओं का ध्यान आकर्षित करता है। गोविंद राम ने कांग्रेस का प्रत्याशी बनते ही प्रेस कांफ्रेंस के जरिए कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अर्जुन राम ने विकास कार्यों के कितने उद्घाटन किए हैं? पूछा क्या प्रजातंत्र में अर्जुन राम की भूमिका ठीक है? उनके साथ उनकी पार्टी के कितने विधायक या दावेदार साथ हैं ? कितने वर्कर साथ जुटे हैं? यह भी कहा कि अर्जुन राम अब ढलता सूरज हैं। खैर विरोधी प्रत्याशी तो आरोप भी लगाएगा और सवाल भी खड़े करेगा। अर्जुन राम भी गोविन्द मेघवाल से कई सवाल पूछ सकते हैं और उनके सवालों के सटीक जवाब भी दे सकते हैं। सवाल ये भी है कि अर्जुन राम ने राजस्थानी भाषा को मान्यता, बीकानेर में केंद्रीय कृषि वि वि, मेगा फूड पार्क, ड्राई पोर्ट, गैस पाइप लाइन, हवाई सेवाओं का विस्तार, रेलवे बाईपास, कोटगेट रेलवे फाटक की समस्या का समाधान समेत कई मुद्दों पर सार्वजनिक मंच से जनता के समक्ष वादे किए थे। इसमें से कोई काम हुआ हो तो वो अर्जुन राम मेघवाल की उपलब्धि माना जाएगा। बीकानेर में टेक्सटाइल पार्क, सिरेमिक्स हब, नया औद्योगिक क्षेत्र, बड़ी औद्योगिक इकाई या औद्योगिक विकास की बड़ी योजना का प्रयास किया हो तो भी जनता में उनकी निष्ठा के प्रति विश्वास जमता। अब चुनावों से पहले तो प्रत्याशियों से मतदाता सवाल भी करेंगे और उम्मीद भी। प्रत्याशी भी जनता के विश्वास पर खरा उतरने का विश्वास जमाने का प्रयास करेंगे। यह दीगर बात है कि नेता जनता की उम्मीदों पर कितना खरा उतरता है? जनता उसे चाहे तो किसी को उखड़ फेंक सकती। गोविंद राम ने कहा चुनाव विचारधारा की लडाई है। यह बात सही है, परंतु विधानसभा चुनाव में तो वे खुद ही विचारधारा की लडाई हार चुके हैं। देश में मोदी की विचारधारा कांग्रेस पर भारी है। ऐसे में गोविंद मेघवाल के अर्जुन राम पर दागे सवाल विचारधारा के प्रवाह में कितने टिक पाते हैं। चुनाव परिणाम से ही तय होगा, परंतु सवाल तो जिम्मेदार से जवाब मांगता ही है।
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