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बीकानेर, होटल और रेस्टोरेंट के मेन्यू में अब तक आपने मशरूम की सब्जी ही देखी होगी लेकिन अब जल्द ही बीकानेर जिले के होटल और रेस्टोसेंट में मशरूम के पकोड़े और कटलेट भी नजर आएंगे। साथ ही मार्केट में मशरूम का अचार और बड़ी भी जल्द उपलब्ध होंगे।

स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में ”मशरूम उत्पादन और मूल्य संवर्धन” को लेकर चल रहे तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन मशरूम मैन नाम से देश में प्रसिद्ध बिहार के डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ दयाराम ने शनिवार को ढिंगरी मशरूम से अचार, बड़ी, पकौड़े और कटलेट बनाना सिखाया।प्रशिक्षण में हिस्सा ले रहे प्रतिभागियों से ये उत्पाद बनवाए भी गए।

कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कृषि महाविद्यालय बीकानेर के पादप रोग विज्ञान विभाग के मशरूम उत्पादन इकाई स्थित प्रशिक्षण स्थल पर विजिट कर प्रतिभागियों की हौसला अफजाई की। कुलपति ने कहा कि वो दिन अब दूर नहीं जब बीकानेर में मशरूम का अचार, पकौड़े, बड़ी और कटलेट आदि मिलने लगेंगे। प्रशिक्षण समन्वयक एवं पादप रोग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ दाता राम ने बताया कि प्रशिक्षण के दूसरे दिन मशरूम मैन डॉ दयाराम ने मशरूम के विभिन्न उत्पाद बनाने के अलावा मशरूम उत्पादन के लिए कम्पोस्ट तैयार करने की विधि भी बताई। प्रतिभागियों ने कंपोस्ट तैयार भी की। जिसे 24 घंटे बाद रविवार को मिट्टी के मटकों और प्लास्टिक की बड़ी थैलियों में भर कर बीज का रोपण किया जाएगा।

डॉ दाताराम ने बताया कि करीब 15 दिन बाद मशरूम की पहली फसल आनी शुरू हो जाएगी। एक बार तैयार हुई कंपोस्ट से तीन से चार फसल की तुड़ाई की जा सकती है। मिट्टी के मटकी को 4 से 5 बार या उसके फूटने तक काम में लिया जा सकता है। इस अवसर पर अनुसंधान निदेशक डॉ पीएस शेखावत, डॉ शालिनी सिंह, मशरूम यूनिट के सह आचार्य डॉ अशोक कुमार शाक्य, सहायक आचार्य डॉ अर्जुन यादव समेत कुल 40 प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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