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बीकानेर,जयपुर। शहर के मुरलीपुरा थाने में एक अभिभावक ने स्कूल की प्रधानाचार्या के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा कार्यवाही की मांग की है, अभिभावक जयवीर सिंह चौहान का आरोप है कि स्कूल की प्रधानाचार्य ने पहले बच्चों को परीक्षा देने से यह कहकर रोक दिया कि उसका सेंटर उस स्कूल में नही आया और विद्यार्थी की परीक्षा सीट लेकर फाड़ डाली व विद्यार्थी को क्लास से बाहर कर दिया, बच्चे ने अपने अभिभावक को बताई तो वह स्कूल पहुंचे साथ मे उनके परिवारिक मित्र भावना शर्मा भी उनके साथ पहुंची तो प्रधानाचार्य ने बात करते हुए हमें धमकी दी की अगर उन्होंने शिकायत की तो वह उनके बच्चे का भविष्य खराब कर देंगी, साथ ही अभिभावक पर छेड़छाड़ करने और राजकार्य में बाधा डालने के आरोप में फंसा देंगी। अभिभावक घटना को लेकर प्रधानाचार्य से मिलने गए थे उन्होंने अभिभावक की बात सुनने और सहयोग करने की बजाय डराने-धमकाने लगे, प्रताड़ित और अपमानित किया। जिसके बाद अभिभावक अपनी शिकायत को लेकर मुरलीपुरा थाने पहुंचे और स्कूल व प्रधानाचार्य के खिलाफ परिवाद दर्ज करवा कार्यवाही की मांग की।

संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि स्कूल और प्रधानाचार्य के खिलाफ अभिभावक ने संघ से मदद मांगी और घटना की जानकारी दी। घटना को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी से फोन कॉल कर मिलने का वक़्त मांगा गया,मंगलवार को वह बिजी थे उन्होंने बुधवार का समय दिया, बुधवार को जिला शिक्षा अधिकारी सहित बाल आयोग में जाकर घटना की शिकायत दर्ज करवाई जाएगी और सख्त कार्यवाही की मांग की जाएगी। अलवर के एक सरकारी स्कूल में भी प्रधानाचार्य और शिक्षक द्वारा बच्ची के साथ मार-पिटाई का मामला आया है जिसको लेकर भी बाल आयोग में शिकायत दर्ज करवाई जाएगी। प्रधानाचार्य और शिक्षकों सहित निजी स्कूलों के द्वारा बरते जा रहे व्यवहार से प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का सच सामने आता है राज्य सरकार केवल निजी स्कूलों के संरक्षण को लेकर कार्य कर रही है, अभिभावकों और बच्चों के भविष्य से कोई सरोकार नही है। ऐसी घटनाएं शिक्षा व्यवस्था को शर्मशार करती है।

*पेरेंट्स से मनमानी फीस वसूल रहे है निजी स्कूल, दिल्ली की तर्ज पर राजस्थान सरकार भी करे कार्यवाही – संयुक्त अभिभावक संघ*

निजी स्कूलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहले 03 मई को फैसला दिया और अब दुबारा 1 अक्टूबर को वही फैसला दोहराया बावजूद इसके अभिभावकों को अभी तक राहत नही मिल रही है और स्कूलों द्वारा लगातार अभिभावकों को परेशान किया जा रहा है। संयुक्त अभिभावक संघ ने निजी स्कूलों पर आरोप लगाते हुए कहा कि स्कूल लगातार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध जाकर कार्य कर रहा है, जो कोर्ट के आदेश की अवमानना है, राज्य सरकार सत्ता धर्म ना निभाकर निजी स्कूलो को संरक्षण दे रही है जिसके चलते वह मनमानी कर अभिभावकों पर फीस जमा करवाने का अनैतिक दबाव बना रहे है। संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान सरकार से मांग करता है की दिल्ली की तर्ज पर राज्य सरकार भी निजी स्कूलों पर ठोस कदम उठाए और अभिभावक की शिकायतों पर कार्यवाही अमल में लाई जाए। प्रदेश का अभिभावक स्कूलो की फीस जमा करवाना चाहता है किंतु वह वही फीस जमा करवाएगा तो कानूनसंगत होगी। अभी स्कूल मनमानें तरीके से फीस लेने के साथ-साथ उसकी रसीद तक नही दे रहे है और उन क्लासों की भी जबर्दस्ती फीस वसूल रहे जिन क्लासों को उन्होंने स्वयं बंद किया है।

प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि फीस एक्ट 2016 कानून राज्य सरकार का कानून है इस कानून को सुप्रीम कोर्ट ने 03 मई को सही मानते हुए इसके अनुसार डिसाइड फीस लेने के भी आदेश दे दिए उसके बावजूद राज्य सरकार खुद के कानून को ही लागू ना करवा निजी स्कूलों का संरक्षण कर अभिभावकों को प्रताड़ित व अपमानित कर रही है। राज्य सरकार को याद दिला देना चाहते है प्रदेशभर में 2 करोड़ से अधिक अभिभावक है जो इस एक्ट को लागू करने की मांग लगातार कर रहे है किन्तु राज्य सरकार निजी स्कूलों के दबाव में आकर इसे लागू नही करवा रही है। जिससे सरकार की मंशा पर सवाल खड़े होते है सरकार इस कोरोना काल मे कितनी ही पीठ थपथपा लेंवे, प्रदेश कांग्रेस राज का पूरा कुशासन देख रहा है।

 

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