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बीकानेर,बीते पांच साल के दौरान छत्तरगढ़ तहसील में तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों और पटवारियों ने मिलकर 6 हजार 125 बीघा रकबाराज (सरकारी भूमि) जमीन के आवंटन में जमकर फर्जीवाड़ा किया। फर्जी दस्तावेज से लोगों के नाम भूमि के इंतकाल तक दर्ज कर दिए। जिला प्रशासन की जांच में खुले इस जमीन घोटाले में डीएलसी दर के हिसाब से 2500 लाख रुपए का राजकोष को नुकसान पहुंचाना पाया गया है। पूरे घोटाले में छत्तरगढ़ तहसील में पदस्थापित रहे तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पटवारियों आदि का लिप्त होना सामने आया है। इन सभी के खिलाफ जिला प्रशासन ने मुकदमा दर्ज कराया है।

जिला प्रशासन की ओर से गठित जांच कमेटी की ओर से रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया। इसकी रिपोर्ट मिलते ही जिला कलक्टर ने आरोपियों के खिलाफ पुलिस थाना में मामला दर्ज कराने के निर्देश दिए। पुलिस अधीक्षक तेजस्वनी गौतम के अनुसार छत्तरगढ़ तहसीलदार राजकुमारी की रिपोर्ट पर 19 नामजद आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इनमें छत्तरगढ़ में पदस्थापित रहे तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी आदि शामिल हैं। इन पर करोड़ों रुपए की कृषि भूमि के आवंटन में धांधली करने का आरोप है।

तहसीलदार से लेकर पटवारी तक मिलीभगत:
मामले में छत्तरगढ़ के तत्कालीन तहसीलदार दीप्ति (हाल मकराना नागौर तहसीलदार), सुरेन्द्र जाखड़ ( हाल श्रीगंगानगर तहसीलदार), कुलदीप सिंह ( हाल श्रीगंगानगर तहसीलदार), तत्कालीन नायब तहसीलदार राजेश शर्मा (हाल राजियासर नायब), सरवरद्दीन (हाल भू निरीक्षक कोलायत), तत्कालीन भू निरीक्षक मकसूद अहमद (निवासी बीकानेर), भू निरीक्षक सत्तासर सुभाष जांगिड़, तत्कालीन भू निरीक्षक सत्तासर मुकेश गोदारा (हाल भू निरीक्षक टिब्बी हनुमानढ़), खरबारा पटवारी जसवीर, सत्तासर के भूनिरीक्षक सुरेन्द्र कुमार गोयल, तत्कालीन पटवारी मोतीगढ़ सुशील मीना (हाल सिरोही), मोतीगढ़ के पटवारी वीरेन्द्र सिंह व अजेन्द्र सिंह, खारबरा के पटवारी जसवीर, तत्कालीन पटवारी सत्तासर जयसिंह गुर्जर (हाल कोटपूतली), तत्कालीन घेघड़ा पटवारी देवराज (निवासी बीकानेर), विकास पूनिया, कुंडा पटवारी अनिता शर्मा एवं पेमाराम सारण तहसीलदार कार्यालय कार्मिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

खातेदारों के खिलाफ भी मुकदमा:
परिवाद में आरोप है कि वर्ष 2018 से 2023 के बीच सरकारी जमीनों का गलत आंवटन कर दिया और 6 हजार बीघा जमीन गलत तरीके से आंवटित कर दी। इस सम्बंध में कई खातेदारों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है। राजस्थान में इसे जमीन आंवटन का बड़ा घोटाला माना जा रहा है।

डीएलसी 2500 लाख, बाजार कीमत 300 करोड़ पार:
तहसील कर्मचारियों और पटवारियों ने मिलकर छतरगढ़ तहसील के मोतीगढ़, नापासरिया, सरदारपुरा, राजासर भाटियान, कुंडा, घेघड़ा, सत्तासर, लूण खां गांव की 1547 हैक्टेयर यानि 6 हजार 112 बीघा सरकारी भूमि का फर्जी आवंटन दर्ज कर दिया। जिला प्रशासन ने आवंटन संबंधी आवेदनों के साथ पेश दस्तावेजों और साक्ष्यों की जांच पड़ताल की तो यह पकड़ में आया है। फर्जी आवंटन से सरकार को डीएलसी दर के हिसाब से 2500 लाख रुपए का राजस्व नुकसान हुआ है। जबकि बाजार दर के हिसाब से करीब 300 करोड़ रुपए की भूमि का घोटाला किया गया है।

दोषियों पर कार्रवाई शुरू:
यह सभी गड़बड़ियां मेरे यहां पदस्थापन से पहले की है। जांच कमेटी ने एक दिन पहले ही जांच रिपोर्ट दी है। इसके बाद तुरंत मुकदमा दर्ज कराया गया। साथ ही गड़बड़ी में लिप्त कार्मिकों को निलम्बित करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। कुछ का तबादला अन्य जिलों में हो चुका है। उनकी रिपोर्ट भेज रहे हैं। राजस्व बोर्ड स्तर पर कार्रवाई वाले अधिकारियों के खिलाफ बोर्ड को लिखा है। गलत करने वाला सरकारी कार्मिक हो अथवा सामान्य व्यक्ति किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा
नम्रता वृष्णि, जिला कलक्टर बीकानेर

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