बीकानेर,बालकों के लिए साहित्य लिखना कभी भी आसान नहीं होता| बाल साहित्य लिखने के लिए स्वयं को बच्चा बनना पड़ता है, अर्थात लेखक को बाल मनोविज्ञान का पूर्ण ज्ञान होना जरूरी है| श्री मोइनुद्दीन कोहरी ‘नाचीज बीकानेरी’ का बाल साहित्य विधा में यह चौथा संग्रह है| बकौल कोहरी जी, उनका उद्देश्य बालकों में अच्छे संस्कार, मानवीय मूल्य, नैतिक आचरण व राष्ट्र प्रेम की भावना पैदा करना है| बाल मनोविज्ञान को प्रतिबिंबित करने व बालकों के व्यक्तित्व का चहुंमुखी विकास करने वाली रचनाओं का सृजन करने का प्रयास श्री कोहरी ने किया है| इस संग्रह में उन्होंने बच्चों के प्रिय विषय यानी चिड़िया, घोड़ा, आम, पेड़, सूरज, चंदा मामा, दादी-दादा आदि को सम्मिलित करते हुए ज्यादातर कविताएं रची हैं, वहीं देशभक्ति, पर्यावरण, स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत आदि विषयों को भी उन्होंने अपनी लेखनी से बालोपयोगी बनाया है|
इस संग्रह की शीर्षक कविता ‘बच्चों का मन’ में उन्होंने बाल मन का संदेश देते हुए कहा है कि ‘नेक बनेंगे एक बनेंगे, पढ़ लिखकर इंसान बनेंगे, भारत का ऊंचा नाम करेंगे|’ इस तरह उन्होंने विश्व शांति का पैगाम देते हुए ऐसा भारत बनाने की बात कही है जिसका लोहा सारी दुनिया माने| जन-जन में नैतिकता का बीज बोने और सर्वधर्म समभाव की अलग जगाने के संदर्भ में उनका संदेश महत्व रखता है|
श्री मोइनुद्दीन कोहरी ने इस संग्रह में शिक्षा के क्षेत्र में आज की महती आवश्यकता यानी बस्ते का बोझ कम करने की वकालत अपनी कविताओं में की है| वहीं उन्होंने ‘प्यारे टीचर’ कविता में भयमुक्त वातावरण के बीच लाड़-प्यार से ही शिक्षा देने का आग्रह बच्चों के माध्यम से किया है जो सही ही है| बालपन का कोमल समय तो फन, फूड, फाइट का होता है न कि गंभीर विमर्श का|
इस संग्रह की कविताएं स्वच्छता, हम बालक, मेरी अभिलाषा, प्यारा झंडा, आम, आगे बढ़ना, बच्चे, सूरज, सब दीप जलाएं, चिड़िया, प्यारी बोली, मेरे गुरुजी, चंदा मामा, घोड़ा, विनती सुन लो आदि बाल मन को अभिव्यक्त करने वाली कविताएं हैं| संग्रह में देश के सैनिकों के प्रति बच्चों की भावनाएं व्यक्त करती कविताओं में शहीद आज भी जिंदा है, मां ऐ मां भरती करवा दे, प्यारा झंडा, भारत का मान, देश हमारा अपना है जैसी कविताएं देशभक्ति की प्रेरणा देती हैं वहीं पेड़ के उपहार, पर्यावरण, उपवन, स्वच्छता, कितना प्यारा मेरा उपवन, वृक्ष लगाओ, आया बसंत, तुलसी का पौधा, प्रदूषण से कैसे बचें आदि कविताओं से पर्यावरण के प्रति प्रेम व प्रकृति से जुड़ाव का सुंदर संदेश बच्चों के माध्यम से मिलता है| उदाहरण स्वरूप:
धरती मां की शान बढ़ाओ ,
बच्चों मिलकर वृक्ष लगाओ ।
घर-घर के कष्ट दूर भगाएं ,
आओ तुलसी का पौधा लगाएं । एमपी
प्रधानमंत्री महोदय के स्वच्छ भारत मिशन को प्रकट करती पंक्तियां सार्थक संदेश देती हैं-
स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत ,
यह सोच हम सब की हो ।
सफाई जहां देव भी बसे वहां ,
स्वच्छ भारत हो स्वर्ग से सुंदर ।
बच्चों के गुनगुनाने योग्य तुकबंदी भी पुस्तक को रोचक बनाती है:
रात के घर से सूरज निकला ,लाल बनाकर अपना चेहरा ।
धीरे – धीरे सूरज दौड़ा ,
जग ने कहा हुआ सवेरा ।
चिड़िया रानी चिड़िया रानी ,
चुगती दाना पीती पानी ।
खेल-खेल में पढ़ाई का संदेश देती पंक्तियां भी सुंदर लगती हैं| श्री कोहरी ने इस तथ्य का भी ध्यान रखते हुए लिखा है:
आओ मीकू आओ मीतू ,छोटू-मोटू आओ नीतू ।
राधा बोली तुम्हें पढ़ाऊं ,बैठो मैं मैडम बन जाऊं ।।
पुस्तक में बच्चों के माध्यम से जीवन में आगे बढ़ने की बात करते हुए लेखक ने एक और सार्थक संदेश दिया है:
आगे बढ़ाना है हमको आगे बढ़ना है ,
आसमान छूने को आगे बढ़ना है ।
पुस्तक की छपाई सुंदर है तथा कवर भी बाल मन को आकर्षित करने वाला है| पर बालकों को कहानियों-कविताओं के साथ चित्र प्रिय लगते हैं| अगर इस पुस्तक में कविताओं के साथ ओपते चित्र भी होते तो इसकी बालोपयोगिता सवाई हो जाती| साथ ही कुछ और बालोपयोगी विषय, जैसे विज्ञान जगत, कम्प्यूटर आदि भी आज बच्चों को प्रिय हैं, उन्हें भी शामिल करना इसकी रोचकता को और बढ़ाता| फिर भी यह दावा किया जा सकता है कि यह पुस्तक बच्चों को पसंद आएगी और लोकप्रिय होगी श्री मुइनुद्दीन कोहरी उर्फ नाचीज बीकानेरी को सुंदर बाल साहित्य संग्रह तैयार करने के लिए साधुवाद|