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बीकानेर, राजस्थान में राजस्थान सरकार की ओर से महात्मा गांधी की जयंती से चलाएं जा रहे प्रशासन गांवों व शहरों के संग अभियान नाम मात्र रह गए है। तहसीलदार, नायब तहसीलदार,गिरदावर और पटवारी गांधी की जयंती से वृहद स्तर पर धरना, प्रदर्शन व सत्याग्रह कर रहे हैं।
बीकानेर में राजस्थान राजस्व सेवा के तत्वावधान में कचहरी परिसर में उप खंड अधिकारी कार्यालय के सामने 7 सूत्री मांग को लेकर राजस्व सेवा से जुड़े पटवारी से लेकर तहसीलदार तक के अधिकारियों व कर्मचारियों ने सोमवार को धरना तथा सत्याग्रह जारी रखा। राजस्थान राजस्व सेवा परिषद की बीकानेर इकाई के अध्यक्ष भंवर दान चारण ने बताया कि सोमवार को कैलाश बिश्नोई, श्रीमती मंजू, श्याम सुन्दर बिश्नोई, व वासुदेव छींपा ने सत्याग्रह किया।
उपखंड स्तर पर धरनास्थल पर गिरदावर हरिनारायण सिंह ने बताया कि बीकानेर में 350 पटवारी, 109 कानूनगों या गिरदावर, 15 तहसीलदार, 15 नायब तहसीलदार हड़ताल पर है। इनके हड़ताल पर रहने से मूल निवासी, जाति प्रमाण पत्र नहीं बनने से विद्यार्थी व विभिन्न परीक्षा देने प्रतिभागियों को परंशानी का सामना करना पड़ता है। हमें मालूम है कि हमारे आदोलन से किसानों व आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ता है, लेकिन हम भी मजबूर है। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत को प्रशासन गांवों व शहरों के संग अभियान से पूर्व ज्ञापन व व्यक्तिगत स्तर पर राजस्थान राजस्व सेवा के कार्मिकों की समस्याओं से अवगत करवाया तथा मांग पत्र पर कार्यवाही की मांग की। राजस्व बोर्ड के अजमेर स्थित कार्यालय के समक्ष भी 29 जून को धरना दिया गया व सत्याग्रह किया गया इससे पूर्व पेन डाउन हड़ताल भी रखी।
राजस्व सेवा के कार्मिकों व अधिकारियों की हड़ताल से गांवों में सीमाज्ञान, नामान्तरण,बंटवारा, खाता शुद्धि और रजिस्ट्री सहित विभिन्न कार्य ठप्प पड़े है। गांवों व शहर में लगने वाले शिविर ’’थोथा चना बाजै घणा’’ तक ही समिति रह गया है। दूर-दूर से ग्रामीण व शहरी शिविरों में आने वाले लोगों को केवल आश्वासन ही मिलता है।
ये है सात सूत्रीय मांग- वेतनमान में सुधार किया जाए, स्वायत शासन विभाग का हस्तक्षेप पट्टों की रजिस्ट्री आदि में बंद किया जाए, नायब तहसीलदारों को राजपत्रित अधिकारी बनाया जाए, नवीन पदों का सृजन किया जाए, कोटा संभाग एवं सवाई माधोपुर के राजस्व कार्मिकों के आंदोलन अवधि को असाधारण अवकाश को उपार्जित अवकाश में परिवर्तित किया जाए और परिषद के घटक संगठनों के समस्त कार्मिकों के लिए स्पष्ट स्थानान्तरण नीति बनाई जाए।

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