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बीकानेर,पी.बी.एम. अस्पताल के मानसिक रोग एवं नशामुक्ति विभाग में सात दिवसीय मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह का शुभारम्भ  अधीक्षक के अतिथ्य में दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। 10 अक्टूबर तक चलने वाले इस साप्ताहिक कार्यक्रम के प्रथम दिन सर्वप्रथम अस्पताल अधीक्षक डॉ. परमेन्द्र सिरोही ने उपस्थित सभी चिकित्सक, नर्सिंगकर्मी, मरीज और उनके परिजनों को संबोधित किया। उन्होने बताया कि मानसिक रोगो के बारे में समाज में जागरूकता लाने के लिए पहले चिकित्सको एवं नर्सिंग कर्मियों को जागरूक होना आवश्यक है। इसी कड़ी में विभागाध्यक्ष डॉ. हरफूल सिंह विश्नोई ने विभिन्न प्रकार के मानसिक लक्षणों एवं बीमारीयों के बारे में विस्तार से बताया तथा मानसिक रोगीयो के साथ समाज में होने वाले भेदभावो तथा मानसिक रोगो से संबन्धित विभिन्न भ्रान्तियों के बारे में अवगत कराया। उन्होंने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझाया। तत्पश्चात विभाग के सह-आचार्य डॉ. श्रीगोपाल गोयल ने बच्चो लेकर वृद्वजनो में होने बाले विभिन्न मानसिक रोगों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य डॉ. राकेश गढ़वाल एवं डॉ. अंजू ठकराल द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सहायक आचार्य डॉ. निशान्त चौधरी एवं डॉ. संगीता हटिला ने सप्ताह के आगामी दिनों में होने वाले कार्यक्रमों के बारे में अवगत कराया तत्पश्चात् डॉ. देवानन्द खरोलिया, डॉ. मुरलीधर स्वामी एवं डॉ. लक्ष्मी कुमारी ने महिलाओ में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अपने विचार रखे।

डॉ. हरफूल सिंह आचार्य एवं विभागाध्यक्ष

मानसिक रोग विभाग स.प. आयुर्विज्ञान महाविद्यालय एवं सम्बद्ध पी.बी.एम. चिकित्सालय, बीकानेर

मानसिक स्वास्थ्य एवं मानसिक रोग

अच्छे स्वास्थ्य का अर्थ महज शारीरिक रूप से स्वस्थ होना नहीं है बल्कि स्वस्थ व्यक्ति का मस्तिष्क भी स्वस्थ होना चाहिए। मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य दोनो एक ही सिक्के दो पहलू है। पिछले कुछ वर्षों में मानसिक रोगों के कारणो को समझने और उनके उपचार की दिशा में अभूतपूर्व प्रगति हुई हैं, लेकिन अभी भी मानसिक रोग को कलंक माना जाता है। मानसिक रोगी एवं उनके परिवार जन अपने रोग को पहचानने में पूर्णतया सक्षम नहीं होते हैं, अगर सक्षम होते भी है तो स्वीकार नहीं करते है, क्योकि इन समस्याओं के प्रति ज्यादातर रोगो की जानकारी या तो बहुत ही सीमित है या काफी हद तक गलत या प्रन्तिपूर्ण मानी जाती है।

मानसिक समस्याओं और मनोरोगों के प्रति जागरूकता और वैज्ञानिक आधार पर सही सोच-समझ होना, इन समस्याओं के समाधान व उपचार में सबसे महत्वपूर्ण कडी होगी। कुछ प्रमुख लक्षण जैसे कि नींद में परेशानी, अकारण चिडचिडापन, अवसाद, आत्म हत्या

के विचार आना, नशे की आदत, बेवजह शक करना न चाहते हुए भी अनावश्यक विचारो का बार-बार आना, तेजी से बदलता व्यवहार, बेचेनी, घबहराहट, बच्चो में अति चंचलता, लिखने पढ़ने में परेशानी तथा वृद्धजनो में भूलने की आदत, स्वभाव में बदलाव, दिखाई देने पर मनोचिकित्सक से परामर्श लेवें।

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